Donald Trump China Visit: US राष्ट्रपति का बड़ा एलान, अप्रैल में चीन की यात्रा करेंगे डोनाल्ड ट्रंप
यह फैसला उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हाल ही में हुई टेलीफोन वार्ता के बाद लिया गया।
Donald Trump China Visit: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को घोषणा की कि वह अगले साल अप्रैल में चीन का दौरा करेंगे। यह फैसला उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हाल ही में हुई टेलीफोन वार्ता के बाद लिया गया। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने शी को वाशिंगटन में इस साल के अंत में एक स्टेट विजिट के लिए भी आमंत्रित किया है। यह कदम दोनों देशों के बीच संबंधों को स्थिर करने की दिशा में एक नए प्रयास का संकेत है। बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन, फेंटेनिल, सोयाबीन और अन्य कृषि उत्पादों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। यह कॉल बुसान, दक्षिण कोरिया में हुई उनकी सफल मुलाकात के तीन हफ्ते बाद हुई।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में अमेरिका-चीन संबंधों को बेहद मजबूत बताया। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें अप्रैल में बीजिंग आने का आमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। इसके बदले में ट्रंप ने शी को 2026 में अमेरिका में एक स्टेट विजिट के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों ने नियमित संवाद बनाए रखने के महत्व पर सहमति व्यक्त की है।
व्हाइट हाउस ने पुष्टि की कि यह कॉल सोमवार सुबह हुई। वहीं, बीजिंग की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अतिरिक्त विवरण साझा करते हुए बताया कि दोनों नेताओं ने व्यापार, ताइवान और यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की। चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, शी जिनपिंग ने दोहराया कि ताइवान का मुख्य भूमि चीन के साथ पुनर्मिलन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है। शी ने ट्रंप से कहा कि चीन और अमेरिका, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में एक ही पक्ष में लड़ाई लड़ी थी, उन्हें इस जीत की संयुक्त रूप से रक्षा करनी चाहिए और मतभेदों का जिम्मेदारीपूर्वक प्रबंधन करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि ताइवान 1949 में चीन के आंतरिक युद्ध के बाद स्वतंत्र रूप से एक शासन व्यवस्था के रूप में स्थापित हुआ।
यह कॉल ऐसे समय में हुई है जब जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने संकेत दिया कि यदि चीन ताइवान पर कोई कार्रवाई करता है, तो जापान की सेना हस्तक्षेप कर सकती है। इस टिप्पणी पर बीजिंग ने कड़ा विरोध व्यक्त किया। वहीं, अमेरिका की रणनीतिक अस्पष्टता नीति के तहत ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता, लेकिन कानूनन उसे ताइवान की रक्षा के लिए सैन्य उपकरण उपलब्ध कराना आवश्यक है। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने ताइवान के लिए 330 मिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार पैकेज को मंजूरी दी, जिस पर बीजिंग ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह बिक्री ‘एक-चीन’ सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन है।
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