PM Modi Japan Visit: विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता के लिए भारत-चीन का मिलकर काम करना महत्वपूर्ण: प्रधानमंत्री मोदी
भारत और चीन जैसी दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का मिलकर काम करना आवश्यक है, ताकि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाई जा सके: पीएम मोदी
PM Modi Japan Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन का मिलकर काम करना वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, आपसी सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।
जापान की यात्रा के दौरान 'द योमिउरी शिंबुन' को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा कि दो पड़ोसी और विश्व के दो सबसे बड़े देश होने के नाते भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और मैत्रीपूर्ण संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
चीन के साथ संबंधों में सुधार के महत्व पर पूछे गए सवाल पर मोदी ने कहा, "राष्ट्रपति शी चिनफिंग के निमंत्रण पर मैं यहां से तियानजिन जाऊंगा, जहां मैं शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लूंगा। पिछले वर्ष कजान में राष्ट्रपति शी के साथ मेरी बैठक के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सतत और सकारात्मक प्रगति हुई है।"
उन्होंने कहा कि दो पड़ोसी और विश्व के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि यह एक बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मोदी ने कहा, “विश्व अर्थव्यवस्था में मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, भारत और चीन जैसी दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का मिलकर काम करना आवश्यक है, ताकि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाई जा सके।”
उन्होंने कहा कि भारत आपसी सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने के लिए और रणनीतिक संवाद को बढ़ाने हेतु तैयार है ताकि दोनों देशों की विकास संबंधी चुनौतियों को संबोधित किया जा सके।
जापान सरकार की 'निर्बाध और खुले हिंद-प्रशांत' की अवधारणा पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस संबंध में भारत और जापान की सोच में गहरा सामंजस्य है, जिसे भारत की ‘विजन महासागर’ और हिंद-प्रशांत महासागरों की पहल (इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनीशिएटिव) में भी देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत और जापान दोनों ऐसे शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां सभी देशों की भूभागीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान हो।
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे दोनों देशों के, हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ मजबूत और व्यापक संबंध हैं, और हम दोनों अपने साझा उद्देश्यों को अभिव्यक्ति देने के लिए उनमें से कुछ के साथ बहुपक्षीय प्रारूपों में संवाद करते हैं।"
रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों के साथ हाल की बातचीत पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने इस संघर्ष को लेकर हमेशा सिद्धांतपरक और मानवीय रुख अपनाया है, जिसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की दोनों ने सराहा है।
मोदी ने कहा, “दोनों नेताओं ने मुझसे बात की और संघर्ष से जुड़े घटनाक्रमों पर अपने अपने दृष्टिकोण साझा किए। मैंने भारत का सैद्धांतिक और सतत रुख दोहराया और संवाद तथा कूटनीति के माध्यम से समाधान निकालने पर जोर दिया। मैंने पहले ही संकेत दिया है कि भारत ऐसे सभी प्रयासों में समर्थन देने के लिए तैयार है जिनका उद्देश्य संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालना हो।”
मोदी ने कहा, "मेरा मानना है कि दोनों पक्षों, जिनमें प्रमुख हितधारक भी शामिल हैं, के साथ हमारे अच्छे संबंधों के आधार पर हम यूक्रेन में शीघ्र और स्थायी शांति की बहाली के लिए समर्पित प्रयासों को मजबूती दे सकते हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि वैश्विक समुदाय ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल कर एक अधिक न्यायसंगत विश्व के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई है।
उन्होंने कहा, "यदि हमें इस प्रतिबद्धता को पूरा करना है, तो ग्लोबल साउथ को प्राथमिकता देनी होगी। आपस में अत्यधिक जुड़ी हुई दुनिया में, हमने महामारी, संघर्षों और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों का ग्लोबल साउथ पर गंभीर प्रभाव देखा है।"
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जो या तो विकासशील हैं या फिर उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं। इन देशों में जनसंख्या ज्यादा है, लेकिन संसाधनों और तकनीकी विकास की कमी है।
मोदी ने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ को आज भी वैश्विक शासन, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, कर्ज और वित्तीय दबाव जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो उनकी विकास प्राथमिकताओं पर असर डालती हैं।
उन्होंने कहा ‘‘‘ग्लोबल साउथ’ के सदस्य होने के नाते, हम इन चिंताओं और आम लोगों के जीवन पर इनके प्रभाव को अच्छी तरह समझते हैं। हमने इन्हें वैश्विक एजेंडे के केंद्र में लाने के लिए भरसक प्रयास किए हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मिशन लाइफ, आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई), अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसे सभी वैश्विक प्रयासों का उद्देश्य ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को बढ़ावा देना रहा है। भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को इसमें शामिल किया गया, जिससे ‘ग्लोबल साउथ’ की आकांक्षाओं को स्वर मिला।
उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘ब्रिक्स’ (बीआरआईसीएस) में भी भारत ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
‘ब्रिक्स’ उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक समूह है, जिसमें पहले ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका थे, लेकिन अब इसमें सऊदी अरब, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और ईरान जैसे और देश भी शामिल हो गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ‘ब्रिक्स’ के साथ अपने जुड़ाव को महत्व देता है, जो परामर्श और सहयोग के लिए एक मूल्यवान मंच बनकर उभरा है। इसने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साझा हितों से जुड़े मुद्दों पर परस्पर समझ को बढ़ावा दिया है।
‘क्वाड’ (क्यूयूएडी) के संदर्भ में मोदी ने कहा कि इस मंच के तहत हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के विकास और प्रगति के लिए कार्य किया गया है।
‘क्वाड’ भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक रणनीतिक साझेदारी समूह है, जिसका उद्देश्य एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा देना है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत लगातार यह मांग करता रहा है कि वैश्विक बहुपक्षीय संस्थाओं में तत्काल और समग्र सुधार किए जाएं ताकि वे मौजूदा भू-राजनीतिक और आर्थिक वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित कर सकें।"
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो दशकों में, 2004 में स्थापना के बाद से, ‘क्वाड’ वैश्विक हितों की एक शक्ति बनकर उभरा है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोगों के लिए सकारात्मक परिणाम देने में सफल रहा है।
(For more news apart from It is important for India-China to work together for stability in the world economic system: PM Modi Hindi News, stay tuned to Rozanaspokesman hindi)