Pakistan Economic Crisis: मंदी की मार झेल रहा पाकिस्तान बेचेगा सरकारी कंपनियां, इस कंपनी से होगी शुरुआत!
शरीफ ने कहा कि सभी सरकारी कंपनियां बेच दी जाएंगी चाहे वे मुनाफा कमा रही हों या नहीं.
Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट और IMF की कड़ी शर्तों का सामना कर रहे पाकिस्तान ने सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने मंगलवार को इस्लामाबाद में प्राइवेटाइजेशन कमीशन की मीटिंग में इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि 'बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है, सरकार का काम देश में बिजनेस और निवेश के लिए अच्छा माहौल मुहैया कराना है।'
शरीफ ने कहा कि सभी सरकारी कंपनियां बेच दी जाएंगी चाहे वे मुनाफा कमा रही हों या नहीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार केवल उन्हीं कंपनियों को अपने पास रखेगी जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से प्राइवेटाइजेशन कमीशन की प्रक्रिया को सरल बनाने में सहयोग करने की अपील की है. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 88 सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियां हैं।
शाहबाज शरीफ ने 12 मई को IMF की अग्रिम टीम के पाकिस्तान दौरे के बाद कंपनियों की बिक्री की घोषणा की है। IMF अधिकारियों के साथ बैठक में पाकिस्तान ने लंबे समयके लिए बड़े कर्ज की मांग की थी. प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा है कि कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी की जाएगी. पिछले हफ्ते 24 कंपनियों की सूची तैयार की गई थी, जिन्हें प्राइवेटाइजेशन के पहले फेज में बेचा जाएगा।
सबसे पहले पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन कंपनी लिमिटेड को प्राइवेटाइज किया जाएगा। बोली लगेगी और इसका टीवी पर सीधा प्रसारण किया जाएगा. पाकिस्तान में कंपनियों को बेचने के कार्यक्रम को ''प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम 2024-2029' नाम दिया गया है। इसमें पाकिस्तान की बिजली कंपनियां भी शामिल हैं. जो कंपनियां घाटे में हैं उन्हें पहले बेचा जाएगा. इसके बाद इन्हें मुनाफा कमाने वाली सरकारी कंपनियों को बेच दिया जाएगा.
आईएमएफ से बेलआउट पैकेज मिलने के बाद पाकिस्तान को कई कड़े फैसले लेने पड़े हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने आईएमएफ के दबाव में सभी सरकारी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है. इससे पहले पिछले साल जब पाकिस्तान को आईएमएफ से 10 हजार करोड़ रुपये का पैकेज मिला था तो शरीफ सरकार से कई कड़े फैसले लेने के लिए भी कहा गया था. IMF ने हर तरह की सब्सिडी खत्म करने, पेट्रोल-डीजल और बिजली 30% तक महंगी करने और टैक्स कलेक्शन 10% तक बढ़ाने की मांग की थी।
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