पुतिन और मोदी ने फोन पर द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने पर जताई सहमति, यूक्रेन पर भी चर्चा

Rozanaspokesman

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नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं को जारी रखने के महत्व का उल्लेख किया।

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New Delhi: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को फोन पर ‘‘सार्थक’’ बातचीत की तथा द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा हुई।

दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बातचीत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के डिजिटल शिखर सम्मेलन से कुछ दिन पहले हुई, जिसकी मेजबानी चार जुलाई को भारत द्वारा की जाएगी। इससे एक दिन पहले, रूस के सुरक्षा परिषद सचिव निकोलाई पेत्रुशेव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच द्विपक्षीय संबंधों और रूस में नवीनतम सुरक्षा घटनाक्रम पर चर्चा हुई थी।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी और पुतिन ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा की और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इसने कहा कि दोनों नेता संपर्क में बने रहने तथा दोनों देशों के बीच विशेष एवं विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के प्रयास जारी रखने पर सहमत हुए।

यह उल्लेख करते हुए कि फोन कॉल भारतीय पक्ष की ओर से की गई, क्रेमलिन प्रेस सेवा ने कहा, ‘‘बातचीत का स्वरूप सार्थक एवं रचनात्मक रहा। नेताओं ने रूस और भारत के बीच विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए आपसी प्रतिबद्धता दोहराई और संपर्क जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।’’

नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं को जारी रखने के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच व्यापार 2022 में काफी बढ़ गया, और यह सिलसिला 2023 की पहली तिमाही में भी जारी रहा।

क्रेमलिन ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने मोदी को कूटनीति के माध्यम से संघर्ष को सुलझाने से यूक्रेन के स्पष्ट इनकार के बारे में सूचित किया। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के बयान के हवाले से कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने यूक्रेन से संबंधित स्थिति पर चर्चा की। रूसी राष्ट्रपति ने विशेष सैन्य अभियान क्षेत्र में वर्तमान स्थिति का जिक्र किया, जो संघर्ष को हल करने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक कदम उठाने से कीव के स्पष्ट इनकार की ओर इशारा करता है।’’

विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति का अपना आह्वान दोहराया।भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति एवं बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।

 क्रेमलिन के बयान में यह भी कहा गया कि मोदी ने पुतिन को अपनी हालिया अमेरिका यात्रा और राष्ट्रपति जो. बाइडन के साथ बातचीत के बारे में बताया। इसने कहा, ''नरेन्द्र मोदी ने उन्हें (पुतिन को) अपने अंतरराष्ट्रीय संपर्कों के बारे में बताया, जिसमें उनकी हालिया वाशिंगटन यात्रा भी शामिल है।''

दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और जी20 के भीतर अपने देशों के सहयोग पर भी चर्चा की।

बयान में कहा गया, "शंघाई सहयोग संगठन और जी20-जिसकी अध्यक्षता भारत के पास है, के साथ-साथ ब्रिक्स प्रारूप के भीतर सहयोग पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।"

क्रेमलिन के बयान में यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले हफ्ते वैगनर समूह द्वारा कुछ समय के लिए किए गए सशस्त्र विद्रोह के संबंध में रूसी नेतृत्व द्वारा उठाए गए कदमों के प्रति समर्थन व्यक्त किया।

इसमें कहा गया, "24 जून के घटनाक्रम के संबंध में, नरेन्द्र मोदी ने कानून और व्यवस्था की रक्षा करने तथा देश में स्थिरता और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रूसी अधिकारियों की ठोस कार्रवाई के प्रति समर्थन व्यक्त किया।" येवगेनी प्रिगोझिन और उनके वैगनर समूह द्वारा शनिवार को किया गया विद्रोह राष्ट्रपति पुतिन के लिए उनके दो दशकों से अधिक के शासन में सबसे गंभीर चुनौती बन सकता था। इस घटनाक्रम से पुतिन के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े हो गए।

वैगनर समूह ने रोस्तोव-ऑन-डॉन शहर पर कब्ज़ा कर लिया था। विद्रोह तब समाप्त हुआ जब प्रिगोझिन ने मॉस्को की तरफ बढ़ रहे अपने सैनिकों को वापस लौटने का आदेश दिया।