अगर व्यक्ति शादीशुदा होने की बात बताकर लिव- इन में रहता है तो यह धोखा नहीं : कोलकत्ता हाई कोर्ट
कोलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने इस फैसले के साथ निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया है, ..
कोलकत्ता : कोलकत्ता हाई कोर्ट ने शादीशुदा लोगों को लेकर अपने के अहम फैसले में कहा है कि "अगर कोई शादीशुदा व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप में आने से पहले अपनी शादी और बच्चों के बारे में अपने लिव-इन पार्टनर को बता चुका है, तो इसे धोखा नहीं कहा जाएगा."
बता दें कि कोलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने इस फैसले के साथ निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें कोर्ट ने एक होटल एग्जीक्यूटिव पर अपनी लिव-इन पार्टनर को धोखा देने के आरोप में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
यह मामला पूरा मामला
बता दें कि यह मामला साल 2015 का है. महिला ने कोलकाता के प्रगति मैदान पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी. जिस शख्स पर यह आरोप लगा था कि उसने अपने लिव इन पार्टनर को दिखा दिया है, दरहसल वो शख्स शादीशुदा था और उसने अपनी 11 महीने की लिव-इन पार्टनर को यह बात पहले से ही बता दी थी, उसने कहा था कि उसकी शादीशुदा जीवन खुशाल नहीं है और वह अपनी पत्नी को तलाख दे देगा। बाद में शख्स अपनी पत्नी के पास चला गया और उसने अपनी लिव-इन पार्टनर से शादी करने से इनकार कर दिया जिसके बाद युवती ने उसपर धोखाधड़ी का आरोप लगाया और केस दर्ज करवाई, जिसमें कोर्ट ने आरोपी शख्स के उपर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
बाद में शख्स ने लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
जस्टिस सिद्धार्थ रॉय चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि आईपीसी की धारा 415 के अनुसार, 'धोखाधड़ी' का मतलब किसी को बेईमानी या धोखाधड़ी से जानबूझकर कर फुसलाना है. जस्टिस रॉय ने कहा कि ऐसा सोची-समझी साजिश के तहत किया जाता है. इस मामले में धोखाधड़ी साबित करने के लिए यह साबित करना जरूरी है कि आरोपी ने महिला से शादी का झूठा वादा किया था.