मणिपुर में आदिवासियों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा: 7500 लोगों को राहत कैंप में किया गया शिफ्ट, 8 जिलों में कर्फ्यू

Rozanaspokesman

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आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प

फोटो साभार PTI

इंफाल: मणिपुर में बुधवार को एक आदिवासी विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई। इसके बाद राज्य के 8 जिलों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया. इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं 5 दिनों के लिए बंद कर दी गई हैं। सेना और असम राइफल्स को तैनात किया गया है। 7 हजार 500 लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है।

 बता दें कि रात में सेना और असम राइफल्स को बुलाया गया था और राज्य पुलिस के साथ बलों ने सुबह तक हिंसा पर नियंत्रण पा लिया। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है।

ये है मामला:

राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई।

मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहने के बाद किया गया।

पुलिस के अनुसार, चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया, जिसकी जवाबी कार्रवाई में मेइती समुदाय के लोगों ने भी हमले किए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई। उन्होंने बताया कि तोरबंग में तीन घंटे से अधिक समय तक हुई हिंसा में कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ के साथ ही आगजनी की गई।

हिंसा गलतफहमी” का नतीजा: मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह

लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, “संपत्ति के नुकसान के अलावा कीमती जानें चली गई हैं, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।” हालांकि, मौतों का विवरण तत्काल उपलब्ध नहीं है। सिंह ने कहा कि हिंसा समाज में “गलतफहमी” का नतीजा है।

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए सभी कदम उठा रही है और लोगों के जान-माल की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की मांग की गई है।” उन्होंने कहा, “केंद्रीय और राज्य बलों को हिंसा में शामिल व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।”

पड़ोसी मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए सिंह को पत्र लिखा।

उन्होंने पत्र में लिखा है, “मिजोरम के मुख्यमंत्री के रूप में एक स्थायी पड़ोसी जिसकी इतिहास और संस्कृति के मामले में मणिपुर के साथ बहुत कुछ समानता है, मुझे आपके राज्य के कुछ हिस्सों में भड़की हिंसा और वहां के मेइती समुदाय और आदिवासियों के बीच अंतर्निहित तनाव से बहुत पीड़ा हुई है।”

सिंह ने कहा कि उन्होंने जोरमथंगा से फोन पर बात की और उन्हें मौजूदा स्थिति से अवगत कराया।

स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और विष्णुपुर जिलों तथा आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया।

पुलिस ने बताया कि इंफाल घाटी के कई इलाकों में कुकी आदिवासियों के घरों में तोड़फोड़ की गई, जिससे उन्हें वहां से भागने पर मजबूर होना पड़ा। पुलिस ने कहा कि इंफाल पश्चिम में कुकी बहुल लांगोल क्षेत्र के 500 से अधिक निवासी अपने घरों से भाग गए हैं और वर्तमान में लम्फेलपत में सीआरपीएफ शिविर में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि इंफाल घाटी में बीती रात कुछ पूजा स्थलों को भी आग के हवाले कर दिया गया।

इस बीच, आदिवासी बहुल चुराचांदपुर जिले के करीब 1,000 मेइती क्वाक्ता और मोइरांग सहित बिष्णुपुर जिले के विभिन्न इलाकों में भाग गए।. पुलिस ने बताया कि कांगपोकपी जिले के मोटबंग इलाके में बीस से अधिक घर भी जलकर खाक हो गए। तेंगनौपाल जिले में म्यामां सीमा के पास मोरेह से भी हिंसा की सूचना मिली.