Putin के भारत दौरे पर अमेरिका-चीन -PAK की नजर, जानें क्यों है रूसी राष्ट्रपति का 30 घंटे का ये दौरा इतना खास ?

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पुतिन का यह दौरा बेहद अहम है जिसमें व्यापार विस्तार, रक्षा तकनीक हस्तांतरण और ऊर्जा सहयोग मुख्य एजेंडे होंगे।

America, China and Pakistan are keeping an eye on Putin's visit to India. Know why this 30-hour visit of the Russian President is so special?

Putin's India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार, 4 दिसंबर को भारत पहुंच रहे हैं। यह उनका राजकीय दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच यह पहला मौका है जब वे भारत आ रहे हैं। पुतिन अपने दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान भारत-रूस के 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे।

रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन द्वारा पुतिन के भारत दौरे के संबंध में जारी बयान में कहा गया है कि यह दौरा 'विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी' के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दौरे से ठीक पहले रूस ने भारत के साथ सहयोग को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। रूस की संसद (ड्यूमा) ने भारत के साथ महत्वपूर्ण रक्षा-सहयोग समझौते, Reciprocal Exchange of Logistics Support (RELOS), को मंजूरी दी है। दोनों देशों के लिए, विशेष रूप से भारत के लिए, यह समझौता अत्यंत अहम माना जा रहा है। यह संकेत है कि राष्ट्रपति पुतिन भारत के साथ संबंधों को और गहरा करने के लिए पूरी तैयारी के साथ भारत आ रहे हैं।

पुतिन का भारत दौरा इतना अहम क्यों ? 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद 2022 के बाद पहली बार भारत आ रहे हैं। यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद स्थिति और जटिल हो गई है। ट्रंप ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों, जैसे भारत और चीन, को भी निशाना बनाया है।

रूस से कच्चे तेल की खरीद पर नाराजगी जताते हुए ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25% का टैरिफ लगाया, जिससे भारत पर कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया। इसके अलावा, ट्रंप भारत पर रूस से रक्षा सहयोग कम करने का भी दबाव डाल रहे हैं। ऐसे संवेदनशील समय में पुतिन का भारत दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके दौरे के दौरान कई व्यापारिक और रक्षा समझौतों पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है, जो इस यात्रा की अहमियत और बढ़ा देते हैं।

पुतिन-मोदी के बातचीत का एजेंडा

पुतिन का दौरा 4 दिसंबर, गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ डिनर से शुरू होगा। दोनों नेता लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पर डिनर करेंगे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 5 दिसंबर की सुबह राष्ट्रपति भवन में पुतिन के लिए औपचारिक स्वागत समारोह आयोजित किया जाएगा। इसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के बीच द्विपक्षीय बातचीत होगी। चार साल बाद भारत आ रहे पुतिन एक विस्तृत एजेंडा लेकर आए हैं, जिसमें व्यापार, रक्षा और आर्थिक सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच गहन चर्चा होगी।

पुतिन के दौरे से दोनों देशों की उम्मीदें क्या हैं?

पुतिन के दौरे से दोनों देशों को कई क्षेत्रों में लाभ होने की उम्मीद है। रूस के लिए यह दौरा रक्षा, व्यापार और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में फायदे लेकर आएगा। बढ़ते पश्चिमी दबाव, खासकर ट्रंप के राजनीतिक कदमों के बीच, पुतिन भारत को तेल और गैस की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने के लिए राजी कर सकते हैं। रक्षा क्षेत्र में, S-400, S-500 और Su-57 जैसी प्रणालियों की बिक्री से रूस का रक्षा निर्यात बढ़ेगा।

RELOS समझौते से रूस का सैन्य सहयोग और मजबूत होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, पुतिन का भारत दौरा रूस की अंतरराष्ट्रीय वैधता और सॉफ्ट पावर को पश्चिमी दबाव के बीच मजबूती देगा। वहीं, भारत के लिए यह दौरा महत्वपूर्ण डिफेंस डीलों का अवसर है, जिससे देश का रक्षा क्षेत्र मजबूत होगा। पश्चिमी तेल बाजार में असुरक्षा के बीच, रूस से सस्ती और भरोसेमंद ऊर्जा और तेल की आपूर्ति भारत को उपलब्ध हो सकती है।

लॉजिस्टिक और सामरिक मजबूती के लिहाज से, RELOS समझौते से भारत और रूस दोनों की नौसेना और वायुसेना की क्षमता बढ़ेगी, जिससे भारत को हिंद-प्रशांत और इंडियन महासागर क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, नागरिक परमाणु ऊर्जा सहयोग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और अन्य क्षेत्रों में साझेदारी भारत की दीर्घकालीन विकास योजनाओं के लिए भी लाभकारी साबित हो सकती है।

पुतिन के भारत दौरे पर अमेरिका-चीन की नजर 

पुतिन के भारत दौरे पर अमेरिका और चीन दोनों की निगाहें बनी हुई हैं। उन्हें स्टेट विज़िट पर बुलाना अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए यह संकेत है कि भारत अपनी विदेश नीति में पश्चिम की ओर झुकाव नहीं रखता, बल्कि रणनीतिक स्वायत्ता को प्राथमिकता देता है। रूस के साथ संबंधों को लेकर ट्रंप ने भारत पर दबाव बढ़ाया है, जिसका उदाहरण अतिरिक्त टैरिफ है। ट्रंप के बढ़ते दबाव के बावजूद, भारत द्वारा पुतिन को होस्ट करना अमेरिका में चर्चा का विषय बना हुआ है।

रूस का सहयोगी चीन भी पुतिन के दौरे पर नजर बनाए हुए है। चीनी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर, विशेषकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर, पुतिन के भारत दौरे पर काफी चर्चा हो रही है। एक वीबो यूजर ने लिखा, “भारत के पास पहले से ही 200 रूसी विमान और कई S-400 हैं। अब पुतिन Su-57 और S-500 लेकर आ रहे हैं। चीन-भारत और भारत-पाकिस्तान की परिस्थितियों को देखते हुए, पुतिन कौन सा गेम खेल रहे हैं?” चीन के राजनीतिक हलकों में भी भारत-रूस के बढ़ते रक्षा सहयोग को लेकर चिंता देखी जा रही है।

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