GST FRAUD : GST चोरी करने वाले गिरोह का हुआ भंडाफोड़, फर्जी कंपनियां बनाकर करता था GST चोरी
जांचकर्ताओं को इस धोखाधड़ी में बैंक अधिकारियों के भी शामिल होने का शक है, जिन्होंने केवाईसी प्रक्रिया में...
New Delhi: उत्तराखंड के जीएसटी अधिकारियों ने राज्य में लकड़ी और उसके उत्पादों के अवैध कारोबार को वैध दिखाने के लिए फर्जी कंपनियां संचालित कर करोड़ों रुपये की कर चोरी करने वाले व्यापारियों के गिरोह का भंडाफोड़ किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड माल एवं सेवा कर (GST) विभाग ने ऊधमसिंह नगर जिला के जसपुर क्षेत्र में ‘ऑपरेशन डी डे- राइजिंग वुड्स’ नाम से एक तलाशी एवं जब्ती अभियान चलाया।
ऊधमसिंह नगर लकड़ी के सबसे बड़े बाजारों में से एक है और यहां से लकड़ी एवं उससे बने उत्पाद देशभर में भेजे जाते हैं। जांचकर्ताओं को संदेह है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार और राजस्थान के लोग भी शामिल हो सकते हैं।
GST विभाग के तलाशी अभियान के लिए 27 टीमें बनाई गई थीं जिनमें 300 से ज्यादा कर एवं फॉरेंसिंक अधिकारी व वित्तीय प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ शामिल थे। अभियान के तहत ट्रांसपोर्टरों, वकीलों और चार्टर्ड अकाउंटेंड के 27 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों एवं आवासों पर छापेमारी की गई।
इस अवैध नेटवर्क पर जांचकर्ताओं की लगभग नौ महीनों से नजर थी। उन्होंने कर चोरी करने के लिए एक व्यक्ति के ही नाम पर कई कंपनियां पाईं। उनका मानना है कि आरोपियों ने 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से ही कर धोखाधड़ी करने की योजना बना ली थी। उन्होंने अवैध रूप से कच्चे माल की खरीद को वैध दिखाने के लिए फर्जी कंपनियों का ब्योरा दिया।
जांचकर्ताओं को इस धोखाधड़ी में बैंक अधिकारियों के भी शामिल होने का शक है, जिन्होंने केवाईसी प्रक्रिया में अनियमितता कर आरोपियों की कथित रूप से मदद की। इस नेटवर्क में 25 से 30 लोग शामिल रहे हैं।
विशेष जांच ब्यूरो के संयुक्त आयुक्त रणवीर सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, “आरोपियों का काम करने का ढंग ऐसा था कि पहले वे फर्जी कंपनियां बनाते थे जो सिर्फ कागजों पर ही थीं। लकड़ी कारोबार से जुड़ी ये कंपनियां अवैध बाजारों से कच्चा माल मंगा रही थीं और उनसे खरीद ऑर्डर और बिल हासिल कर इन नकली फर्मों को अपने असली आपूर्तिकर्ता के रूप में दिखा रही थीं। उन्होंने इन फर्जी फर्मों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान किया जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ।”
सिंह के मुताबिक, शुरुआती जांच से पता चला है कि अन्य लोगों के दस्तावेजों का उपयोग कर फर्जी फर्में बनाने में एक पूरा गिरोह संलिप्त है और उससे राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश के उत्पादों का बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर और हरियाणा के यमुनानगर में वस्तुओं की आपूर्ति किए बिना फर्जी बिल तैयार कर फर्जी कर भुगतान कर रहा था। पहली नजर में इस धोखाधड़ी से करीब 18 करोड़ रुपये की कर चोरी होने का अनुमान है।