बंबई उच्च न्यायालय ने जॉनसन एंड जॉनसन को बेबी पाउडर को बनाने, बेचने की दी अनुमति

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लाइसेंस का निलंबन और इसे रद्द करने के आदेश एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर पारित किए गए थे जिसमें पाया गया था कि पाउडर में पीएच का स्तर ...

Bombay High Court allows Johnson & Johnson to manufacture, sell baby powder

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी को अपना बेबी पाउडर बनाने, उसका वितरण करने और बेचने की अनुमति देते हुए कंपनी का लाइसेंस रद्द करने सहित महाराष्ट्र सरकार के तीन आदेशों को बुधवार को निरस्त कर दिया। अदालत ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी का लाइसेंस रद्द करने तथा संबंधित उत्पादों के निर्माण एवं बिक्री पर रोक लगाने के राज्य सरकार के आदेश को ‘कठोर, अतार्किक एवं अनुचित’ करार दिया है।

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एस. जी. दिगे की पीठ ने दिसंबर 2018 में जब्त किए गए कंपनी के बेबी पाउडर के नमूने के परीक्षण में देरी के लिए राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) को भी कड़ी फटकार लगाई।

खंडपीठ ने कहा कि कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा संबंधी मानकों को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन किसी एक उत्पाद में इनका मामूली विचलन होने पर पूरी उत्पादन प्रक्रिया को बंद करना उचित नहीं लगता।

इस तरह के दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप ‘‘व्यावसायिक अराजकता और अपव्यय’’ की स्थिति पैदा होगी।

लाइसेंस का निलंबन और इसे रद्द करने के आदेश एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर पारित किए गए थे जिसमें पाया गया था कि पाउडर में पीएच का स्तर निर्धारित मानक से अधिक था।.

अदालत ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि नये परीक्षणों से पता चला है कि बेबी पाउडर उत्पाद के सभी बैच निर्धारित मानदंडों के अनुरूप थे। पीठ ने राज्य सरकार के तीन आदेशों को चुनौती देने वाली कंपनी की एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। राज्य सरकार ने 15 सितंबर, 2022 को लाइसेंस रद्द कर दिया था, जबकि बेबी पाउडर उत्पाद के निर्माण और बिक्री पर तत्काल रोक का आदेश 20 सितंबर, 2022 को जारी किया गया था। राज्य के मंत्री ने तीसरा आदेश 15 अक्टूबर, 2022 को जारी किया था और पहले के दोनों आदेशों को बरकरार रखा था।.

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘कार्यपालिका एक चींटी को मारने के लिए हथौड़े का इस्तेमाल नहीं कर सकती। क्या यह हमेशा अपरिहार्य है कि जब किसी उत्पाद का (निर्धारित मानदंडों से) विचलन या गैर-अनुपालन का एक मामला हो, तो नियामक प्राधिकरण के पास एकमात्र विकल्प उत्पादन करने वाली कंपनी का लाइसेंस रद्द कर देना होता है?’’.

पीठ ने कहा ‘‘यह हमें सख्त प्रतीत होता है। ऐसा लगता है कि कार्यपालिका की कार्रवाई में खामी अथवा अतार्किकता है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे प्रदर्शित हो कि एफडीए ने याचिकाकर्ता कंपनी के किसी अन्य उत्पाद के लिए या किसी अन्य कंपनी के लिए इस तरह का कड़ा रुख अपनाया हो।’’.

उच्च न्यायालय ने अपनी व्यवस्था में सरकारी आदेशों को रद्द कर दिया और कंपनी को बेबी पाउडर उत्पादों के निर्माण, वितरण और बिक्री की अनुमति दे दी।.

अदालत ने दिसंबर 2018 में ज़ब्त किए गए कंपनी के बेबी पाउडर के नमूने की जांच में देरी के लिए भी एफडीए को जमकर फटकार लगायी।

कंपनी के मुताबिक, नमूने की जांच दिसंबर 2019 में की गयी थी। पीठ ने कहा कि इस तरह की देरी ‘‘अनुचित, अस्वीकार्य और मनमाना’’ है और कानून के प्रावधानों के विपरीत है।.

अदालत ने कहा, ‘‘वर्ष 2018 में जब नमूना परीक्षण के लिए लिया गया था, तब से लेकर 2022 में लाइसेंस रद्द किये जाने तक कंपनी अपने उत्पाद का निर्माण और बिक्री करती रही। एफडीए जैसा ‘वॉचडॉग’ होना जरूरी है, लेकिन इसे अपना काम करना चाहिए। जब नमूनों के परीक्षण में देरी होती है तो इसका लक्ष्य प्राप्त नहीं होता है।’’

अदालत ने कहा कि कानून के प्रावधानों के तहत एफडीए के लिए ‘‘अधिक विस्तृत दृष्टिकोण’’ उपलब्ध होगा।.

इसने कहा, ‘‘हमें यह स्वीकार करना उचित नहीं लगता है कि जिस क्षण कोई उत्पाद विचलित या निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाया जाता है, तो एकमात्र संभावित परिणाम सभी विनिर्माण को बंद करना है।’’

इसने आगे कहा कि एफडीए के इस तरह के दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप व्यापक पैमाने पर वाणिज्यिक अराजकता और अपव्यय की स्थिति पैदा होगी। 

कोलकाता में केंद्रीय जांच प्रयोगशाला की एक रिपोर्ट के आधार पर राज्य एफडीए के संयुक्त आयुक्त और लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा लाइसेंस के निलंबन और रद्द करने के आदेश पारित किए गए थे, क्योंकि पाउडर में पीएच का स्तर निर्धारित मानक से अधिक पाया गया था।.

दिसंबर 2022 में, उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में कंपनी को अपना उत्पाद बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन इसे वितरित या बेचने की अनुमति नहीं दी थी।

अदालत ने तब उपनगरीय मुलुंड में कंपनी के कारखाने से नये नमूने एकत्र करने का आदेश दिया था और परीक्षण के लिए तीन प्रयोगशालाओं- दो सरकारी और एक निजी केंद्र- को भेजा गया था। पीठ ने आज अपने आदेश में कहा कि किए गए नए परीक्षणों से पता चला है कि बेबी पाउडर उत्पाद के सभी बैच निर्धारित मानदंडों के अनुरूप थे।

इसमें कहा गया है, ‘‘निर्धारित पीएच स्तर 5.5 से आठ के बीच है और ताजा परीक्षण के बाद सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, उत्पाद निर्धारित स्तरों के अनुरूप थे।’’

कंपनी ने अपनी याचिका में कहा था कि फरवरी, मार्च और सितंबर 2022 के 14 यादृच्छिक बैच का एक स्वतंत्र सार्वजनिक परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण किया गया और सभी के पीएच मान निर्धारित स्तरों के दायरे में पाये गये।

अग्रणी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) निर्माता कंपनी ने कहा कि वह पिछले 57 वर्षों से अपने मुलुंड संयंत्र में बेबी पाउडर बना रही है और जनवरी 2020 में इसका लाइसेंस नवीनीकृत किया गया था।

कंपनी ने यह भी कहा कि लाइसेंस निरस्त होने के कारण बेचे गए सामान के बाजार मूल्य के आधार पर उसे रोजाना 2.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।