कश्मीरी युवकों को पाकिस्तान ले जाकर आतंकवादी प्रशिक्षण देने की गतिविधि पर पुलिस ने लगाई रोक
भाड़े के सैनिकों के साथ घाटी में घुसपैठ कराने के तरीके पर रोक लगाई है।
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर पुलिस की कड़ी कार्रवाई ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कश्मीरी युवकों को पासपोर्ट के जरिए पड़ोसी देश में ले जाकर आतंकवादी प्रशिक्षण देने और बाद में भाड़े के सैनिकों के साथ घाटी में घुसपैठ कराने के तरीके पर रोक लगाई है। केंद्र शासित प्रदेश में घुसपैठ के बाद गिरफ्तार किए गए कुछ युवकों की पूछताछ रिपोर्ट का हवाला देते हुए अधिकारियों ने बताया कि आईएसआई आतंकवादियों पर किसी भी तरह से घाटी से युवाओं को लाने लिए दबाव डाल रही है, चाहे वह शैक्षिक और धार्मिक उद्देश्य के लिए हो या सामाजिक समारोह के वास्ते।
उन्होंने बताया कि अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए कानूनी माध्यमों से पाकिस्तान जाने वाले कुछ कश्मीरी युवकों को भी लक्षित किया गया और यहां तक कि विस्फोटकों को संभालने और करीब से गोलीबारी करने का दो सप्ताह का प्रशिक्षण भी कराया गया।
अधिकारियों ने बताया कि हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा अतिरिक्त जांच-पड़ताल के साथ एक नई व्यवस्था लागू करने के बाद आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए वैध यात्रा दस्तावेज पर किसी के पाकिस्तान जाने की कोई सूचना नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि नई व्यवस्था के तहत, पासपोर्ट के लिए जिन पुलिस अधिकारियों को पृष्ठभूमि सत्यापन की प्रक्रिया सौंपी गई है, उन्हें यह जांचने के लिए कहा गया है कि क्या कोई व्यक्ति पथराव जैसी किसी कानून व्यवस्था से जुड़ी घटना में शामिल रहा है।
इसके अलावा, वे पुलिस थानों के रिकॉर्ड में उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज, फोटोग्राफ, वीडियो और ऑडियो क्लिप तथा ‘क्वाडकॉप्टर’ से ली गई तस्वीरों जैसे डिजिटल साक्ष्यों की भी मदद ले रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि चाहे वह “सवारी” की अवधारणा हो, जिसमें समझौता एक्सप्रेस के असंदिग्ध यात्रियों का इस्तेमाल आईएसआई द्वारा आतंकी समूहों के लिए धन भेजने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए नकली भारतीय मुद्रा नोटों के लिए किया गया था या फिर नियंत्रण रेखा के आर-पार होने वाले व्यापार के जरिये मादक द्रव्य, हथियार व गोला-बारुद की आपूर्ति हो, पाकिस्तानी एजेंसी भारत में आतंकवाद की आग को भड़काए रखने के लिये हर संभव प्रयास कर रही हैं।
पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों ने उन युवाओं को भी नहीं बख्शा जो उच्च अध्ययन के लिए पाकिस्तान गए थे। ऐसे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को पिछले साल अप्रैल में घोषणा करनी पड़ी कि पाकिस्तानी डिग्री रखने वाले छात्र भारत में उच्च अध्ययन या रोजगार के लिए पात्र नहीं होंगे।
सुरक्षा एजेंसियों ने उन युवाओं की पहचान करने का व्यापक अभियान चलाया जो पासपोर्ट का उपयोग कर पाकिस्तान चले गए थे और उत्तरी कश्मीर में करनाह से जम्मू क्षेत्र में पुंछ तक फैली 724 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में वापस आ गए थे।
अधिकारियों ने कहा कि 2015 और 2018 की शुरुआत के बीच जारी किए गए पासपोर्ट की जांच की गई और यह पाया गया कि लगभग 60 कश्मीरी युवक, जो बाद में आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय पाए गए थे, ने पाकिस्तान जाने के लिए यात्रा दस्तावेज का इस्तेमाल किया था और बाद में आतंकी संगठनों में शामिल हो गए थे। उनमें से एक श्रीनगर निवासी सज्जाद अहमद शेख उर्फ सज्जाद गुल था, जो 2018 में एक स्थानीय दैनिक के प्रधान संपादक शुजात बुखारी की हत्या में शामिल था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शेख को “आतंकवादी” के रूप में नामित किया है और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने उसकी गिरफ्तारी की सूचना देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
शुरुआती खतरे की पहचान तब हुई जब सुरक्षा बलों ने 2019 में एक मुठभेड़ के दौरान एक आतंकवादी की पहचान शाकिर अल्ताफ भट के रूप में की, जो 2018 में पाकिस्तान में पढ़ाई के लिए वैध पासपोर्ट पर देश छोड़कर गया था और एक आतंकी समूह में शामिल होकर लौटा था। उसके अलावा, कई कश्मीरी युवा ऐसे थे जो कम अवधि के लिए वैध पासपोर्ट पर पाकिस्तान गए थे लेकिन या तो वापस नहीं आए हैं या अपनी वापसी के बाद पिछले तीन वर्षों गायब हो गए हैं।