मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा: लगातार तीसरे दिन उग्रवादियों का हमला, गोलीबारी में नौ की मौत, 10 घायल
मणिपुर का मेइती समुदाय उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है।
इंफाल: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा जानकारी के अनुसार अब इंफाल के खामेलॉक गांव में उग्रवादियों ने ग्रामीणों पर हमला कर दिया है. इस हमले में कम से कम 9 ग्रामीणों की मौत हो गई है और 10 घायल हुए है।
पुलिस ने बताया कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों ने रात करीब एक बजे इंफाल पूर्वी जिले और कांगपोकी जिले की सीमा से लगे खामेनलोक इलाके में ग्रामीणों को घेर लिया और हमला कर दिया। घायलों को इंफाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह क्षेत्र मेइती-बहुल इंफाल ईस्ट जिले और आदिवासी बहुल कांगपोकपी जिले की सीमाओं से लगा है। इंफाल ईस्ट जिले के खामेनलोक इलाके में उग्रवादियों तथा ग्रामीण स्वयंसेवकों के बीच सोमवार को हुई गोलीबारी में नौ लोग घायल हो गए थे।
मंगलवार को हुई मुठभेड़
पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों की बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में कुकी उग्रवादियों के साथ मंगलवार को मुठभेड़ हुई। कुकी उग्रवादी मेइती इलाकों के पास बंकर बनाने की कोशिश कर रहे थे, तभी सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिससे दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। इस बीच, इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट में जिला प्रशासन ने कर्फ्यू में ढील के समय को कम करते हुए, उसे सुबह पांच बजे से शाम छह बजे की बजाय सुबह पांच से सुबह नौ बजे तक कर दिया है।
बता दें कि सोमवार को भी इसी इलाके में एक गोलीबारी की एक घटना हुई थी, जिसमें नौ लोग घायल हुए थे।
यह है मामला
मणिपुर में करीब एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की मौत हुई है और 310 अन्य घायल हुए हैं। दरअसल मणिपुर का मेइती समुदाय उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है। राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। हिंसा प्रभावित मणिपुर के 16 जिलों में से 11 में अब भी कर्फ्यू लगा है जबकि पूरे पूर्वोत्तर राज्य में इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं।
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।