कविताओं और हास्य व्यंग्य के लिए भी याद किए जाएंगे रतन लाल कटारिया
कटारिया (71) का गुरुवार को निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार थे।
चंडीगढ़: पूर्व केंद्रीय मंत्री और अंबाला से भारतीय जनता पार्टी के सांसद रतन लाल कटारिया को बचपन से ही गायिकी का शौक था, जिसका उन्होंने राजनीति में भी बखूबी इस्तेमाल किया।
कटारिया (71) का गुरुवार को निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार थे।
कानून में स्नातक के साथ ही राजनीति विज्ञान में परास्नातक डिग्री हासिल करने वाले कटारिया को छोटी कविताएं लिखने और चुनावों में प्रचार के दौरान फिल्मी गीतों के अंश का इस्तेमाल करने के लिए भी जाना जाता था। अंबाला से तीन बार के सांसद और भाजपा के एक प्रमुख दलित चेहरे कटारिया का यहां पीजीआईएमईआर अस्पताल में निधन हो गया।
यमुनानगर जिले के एक गांव में पैदा हुए कटारिया को 13 वर्ष की आयु में अपने गायन कौशल के लिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से पुरस्कार मिला था।
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में और उसके बाद के चुनावों में कटारिया ने भाजपा के पक्ष में वोट मांगने के लिए अपनी मधुर आवाज का इस्तेमाल किया। वह नयी और पुरानी हिंदी फिल्मों के गीतों के अंश का इस्तेमाल पार्टी की सराहना करने के लिए करते थे।
वर्ष 2004 में कटारिया ने फिल्म ‘‘मुगल-ए-आजम’’ के गीतों के बोल में बदलाव कर उन्हें भाजपा के प्रचार के लिए दिलचस्प अंदाज में पेश किया था।
मूल गीत के बोल हैं, ‘‘तेरी महफिल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे।’’
कटारिया ने एक जनसभा में इसे कुछ तरह पेश किया कि, ‘‘कमल के फूल पर मुहर लगाकर हम भी देखेंगे... अटलजी के जरा नजदीक जाकर हम भी देखेंगे।’’
तब कटारिया ने न्युज एजेंसी से कहा था, ‘‘मुझे लगता है कि यह लोगों के साथ संवाद करने का एक नया तरीका है। मेरे लिए, यह दोहरे उद्देश्य जैसा है। पहला यह कि गाना और कविता लिखना मेरा शौक है और दूसरा यह कि संदेश जनता के बीच अच्छी तरह से जाता है।’’. उन्होंने कहा था, ‘‘नियमित भाषण कभी-कभी उबाऊ हो सकते हैं और मैंने पाया है कि लोग आपको अधिक उत्सुकता से सुनते हैं।’’