Uttarkashi tunnel collapse Update : फंसे मजदूरों को बचाने का काम रुका, जानिए कब शुरू होगा काम

Rozanaspokesman

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बैकअप के तौर पर इंदौर से एक और मशीन भी एयरलिफ्ट की गई है, ...

Uttarkashi tunnel collapse Update
Uttarkashi tunnel collapse Update

Uttarkashi tunnel collapse Update  : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्कयारा सुरंग में पिछले छह दिन से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया है. एनएचआईडीएसीएल के निदेशक डॉ. अंशू मनीष खलको ने देर शाम मीडिया को जानकारी दी कि सुरंग के अंदर मशीन के कंपन के कारण बचाव अभियान रोक दिया गया है, ताकि मलबा आगे न गिरे. मशीन को रेस्ट कर काम भी बंद कर दिया गया है।

हालांकि, मशीन में आई तकनीकी खराबी भी रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा बताई जा रही है. उत्तरकाशी जिला आपातकालीन नियंत्रण कक्ष से शनिवार सुबह मिली जानकारी के अनुसार, फिलहाल सुरंग में ड्रिलिंग का काम रुका हुआ है । अधिकारियों के मुताबिक अभी तक सिर्फ 22 मीटर पाइप खोदे गए हैं। 

इस बीच बैकअप के तौर पर इंदौर से एक और मशीन भी एयरलिफ्ट की गई है, यह मशीन देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंच चुकी है जहां से इसे ट्रक के जरिए सिलक्यारा लाया जा रहा है।इससे पहले, सुरंग में मलबे को भेदने के लिए दिल्ली से एक अमेरिकी ऑगर मशीन लाई गयी थी जिसने शुक्रवार दोपहर तक 22 मीटर तक ड्रिलिंग कर चार पाइप डाल दिए थे ।हालांकि, बाद में ड्रिलिंग का काम रुक गया । 

12 नंवबर की सुबह हुए हादसे के बाद से लगातार चलाए जा रहे बचाव अभियान की जानकारी देते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने शुक्रवार शाम कहा था कि मलबे में ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गए हैं जबकि पांचवें पाइप को डालने की कार्रवाई चल रही है । उन्होंने बताया कि चौथे पाइप का अंतिम दो मीटर हिस्सा बाहर रखा गया है जिससे पाचवें पाइप को ठीक तरह से जोड़कर उसे अंदर डाला जा सके । बताया जा रहा है कि सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है ।. यह पूछे जाने पर कि मशीन प्रति घंटा चार-पांच मीटर मलबे को भेदने की अपनी अपेक्षित गति क्यों नहीं हासिल कर पाई, इस पर उन्होंने कहा कि पाइप को डालने से पहले उनका संरेखण करने तथा जोड़ने में समय लगता है।

खाल्को ने यह भी दावा किया कि डीजल से चलने के कारण ड्रिलिंग मशीन की गति धीमी है। उन्होंने कहा कि बीच-बीच में ड्रिलिंग को रोकना भी पड़ता है क्योंकि भारी मशीन को हवा का आवागमन चाहिए और मशीन में कंपन होने से आसपास का संतुलन खराब होने से मलबा गिरने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इंदौर से आ रही मशीन के बारे में उन्होंने कहा कि इस मशीन को 'बैकअप' के तहत लाया जा रहा है जिससे बचाव अभियान निर्बाध रूप से चलता रहे ।.

हालांकि, मौके पर मौजूद सूत्रों ने बताया कि मशीन में तकनीकी खराबी आ गयी है और इसलिए इंदौर से नई मशीन मंगाई जा रही है । ड्रिलिंग कार्य भी शुक्रवार दोपहर से बंद है। बचाव अभियान में लगे एक अधिकारी ने नाम उजागर न किए जाने की शर्त पर बताया कि इंदौर से ऑगर मशीन के आने के बाद ही कार्य फिर से शुरू होगा । यह दूसरी बार है जब सुरंग के मलबे को भेदकर स्टील के कई पाइप के जरिए ‘निकलने का रास्ता’ बनाकर श्रमिकों को बाहर निकालने की योजना पर अमल के दौरान रुकावट आयी है । 

इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने तथा मशीन में तकनीकी समस्या आने के कारण काम को बीच में रोकना पड़ा था। योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 900 मिमी बड़े व्यास के छह मीटर लंबे पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक रास्ता बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं। इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाई और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उन्हें तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके।

चारधाम परियोजना के तहत यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा ढह गया था जिससे उसमें फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। जिसे शनिवार को सिल्कियारा पहुंचाया जाएगा. यह जानकारी एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने दी है. बचाव कार्य में लगातार हो रही देरी से फंसे हुए मजदूरों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं.