‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामला : राहुल गांधी को दो साल की सजा, फैसले को चुनौती देगी कांग्रेस
सूत्रों का कहना है कि आदेश को चुनौती देने वाली याचिका तैयार की जा रही है और उसे जिला और सत्र अदालत में दाखिल किया जाएगा।
सूरत : सूरत की एक अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें बृहस्पतिवार को दो साल कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले के बाद राहुल गांधी पर लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का खतरा मंडराने लगा है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच. एच. वर्मा की अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि और उसकी सजा से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 के तहत दोषी करार देकर सजा सुनाने के बाद उन्हें जमानत भी दे दी और उनकी सजा के अमल पर 30 दिन की रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें।
गौरतलब है कि जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, दो साल या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को ‘दोषसिद्धि की तारीख से’ अयोग्य घोषित किया जाएगा और वह सजा पूरी होने के बाद जनप्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक अयोग्य रहेगा। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अपीलीय अदालत राहुल गांधी की दोष सिद्धि और दो साल की सजा को निलंबित कर देती है, तो वह लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं होंगे।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है और कांग्रेस नेता के राजनीतिक भविष्य की राह में एक और चुनौती आ खड़ी हुई है। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि वह फैसले के विरोध में ऊपरी अदालत का रुख करेगी।
अदालत ने 168 पन्ने के फैसले में कहा कि राहुल गांधी अपनी टिप्पणी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी और अनिल अंबानी तक सीमित रख सकते थे, लेकिन उन्होंने ‘जानबूझकर’ ऐसा बयान दिया, जिससे ‘मोदी उपनाम’ रखने वाले लोगों की भावनाएं आहत हुईं और इसलिए यह आपराधिक मानहानि है। अदालत में फैसला सुनाए जाने के समय राहुल गांधी वहां उपस्थित थे।
फैसला आने के बाद कांग्रेस बड़ी परेशानी से घिर गई है और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शाम को दिल्ली में अपने आवास पर बैठक करके भविष्य की रणनीति और पार्टी पर फैसले के राजनीतिक प्रभाव आदि मुद्दों पर चर्चा की।
सूत्रों का कहना है कि आदेश को चुनौती देने वाली याचिका तैयार की जा रही है और उसे जिला और सत्र अदालत में दाखिल किया जाएगा। वहीं, फैसले के तुरंत बाद राहुल गांधी ने महात्मा गांधी के कथन को ट्वीट किया, ‘‘मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन--महात्मा गांधी।’’
उन्होंने एक और ट्वीट में स्वतंत्रता सेनानी-भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को उनके शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने भारत माता के इन वीर सपूतों से सत्य और साहस के मार्ग पर टिके रहकर देश के लिए निडर होकर लड़ना सीखा है।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा सहित पार्टी के तमाम नेताओं ने इस मामले को लेकर भाजपा और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। वहीं, भाजपा का कहना है कि अगर राहुल गांधी लोगों को ‘‘गाली’’ देते हैं, तो कानून अपना काम करेगा। साथ ही पार्टी ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस अपने नेता के लिए ‘‘पूरी आजादी’’ चाहती है, ताकि वह दूसरों को ‘‘गाली’’ देते रहें।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि आरोपी के अपराध की गंभीरता इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि सांसद द्वारा दिए गए बयान का ‘‘जनता पर व्यापक प्रभाव हुआ है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘और अगर आरोपी को कम सजा दी जाती है, तो इससे जनता में गलत संदेश जाएगा और मानहानि (के मुकदमे) का लक्ष्य प्राप्त नहीं होगा और कोई भी किसी का भी आसानी से अपमान कर सकेगा।’’
अदालत ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 2018 के ‘चौकीदार चोर है’ वाली टिप्पणी के लिए आरोपी द्वारा माफी मांगे जाने के बाद उससे भविष्य में सतर्क रहने को कहा था।
अदालत ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा आरोपी को सचेत किए जाने के बावजूद उसके व्यवहार में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है।’’ राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही कैसे है?’’ राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी।
वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल को आयोजित जनसभा में की थी। शिकायतकर्ता एवं सूरत पश्चिम से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया।
गौरतलब है कि जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, दो साल या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को ‘दोषसिद्धि की तारीख से’ अयोग्य घोषित किया जाएगा और वह सजा पूरी होने के बाद जनप्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक अयोग्य रहेगा।
लोकसभा के पूर्व महासचिव व संविधान विशेषज्ञ पी. डी. टी. आचारी ने कहा कि सजा का ऐलान होने के साथ ही अयोग्यता प्रभावी हो जाती है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अपील करने के लिए स्वतंत्र हैं और अगर अपीलीय अदालत दोष सिद्धि और सजा पर रोक लगा देती है, तो अयोग्यता भी निलंबित हो जाएगी।
गौरतलब है कि सजा पूरी होने या सजा काटने के बाद अयोग्यता की अवधि छह साल की होती है। आचारी ने कहा, ‘‘(अगर वह अयोग्य घोषित कर दिए गए तो) अयोग्यता आठ साल की अवधि के लिए होगी।’’ उन्होंने कहा कि अयोग्य घोषित किया गया व्यक्ति न तो चुनाव लड़ सकता है और न ही उस समयावधि में मतदान कर सकता है।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि लोकसभा सचिवालय अदालत के आदेश का अध्ययन करने के बाद राहुल गांधी को अयोग्य करार देने के संबंध में फैसला करेगा और अधिसूचना जारी करके संसद के निचले सदन में रिक्ति की जानकारी देगा। बहरहाल, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ सूरत की अदालत के फैसले पर कानूनी विशेषज्ञ विचार करेंगे और इसके बाद ही सरकार अगले कदम के बारे में निर्णय करेगी।
वहीं, विपक्षी दलों खासतौर से आम आदमी पार्टी (आप), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने राहुल गांधी का समर्थन किया है। कांग्रेस प्रवक्ता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘‘मानहानि का मुकदमा एक ऐसे विषय के बारे में नहीं कर सकते, जिसमें किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ आक्षेप नहीं लगाया गया है।’’
सिंघवी ने कहा, ‘‘जानबूझकर गलत मामलों को थोपकर आवाज बंद करना, यह प्रक्रिया सरकार द्वारा की जा रही है। इससे कहीं अधिक आपत्तिजनक टिप्पणियां भाजपा के लोगों द्वारा की जाती हैं, लेकिन उनकी अनदेखी की जाती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार डराने, धमकाने, आवाज दबाने और झूठे मामले दायर करने की लाख कोशिश कर ले, इससे आवाज दबने वाली नहीं है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर राहुल गांधी बोलते रहेंगे, आवाज उठाते रहेंगे।’’ वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर राजनीतिक टिप्पणी की थी और यह एक राजनीतिक आरोप था।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा देश में राजनीतिक सूचिता समाप्त होने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को ‘धमकाने’ और ‘दबाने’ का प्रयास करने का आरोप लगाया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा कि उन्होंने “भाई” राहुल गांधी से बात की और अपनी एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने भाजपा पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाया।
स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, “यह बेहद निंदनीय और अभूतपूर्व है कि राहुल गांधी जैसे नेता को एक टिप्पणी के लिए दोषी ठहराया जाता है, जिसके बारे में उन्होंने खुद कहा था कि यह टिप्पणी निंदा करने के लिए नहीं की थी।” स्टालिन ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “भाजपा द्वारा विपक्षी दलों को निशाना बनाना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करना है और इस तरह के अत्याचारों का अंत होगा।”
‘आप’ संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लोकसभा सदस्य को इस तरह मानहानि के मुकदमे में फंसाना ठीक नहीं है तथा वह अदालत के निर्णय से असहमत हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भारतीय जनता पार्टी में विरोधी दलों और उसके नेताओं पर मुकदमे करके उन्हें फंसाने की साजिश हो रही है।