Integrated Pension Scheme: राज्यों के खजाने पर दोतरफा असर करेगी एकीकृत पेंशन योजना
संकेत इस बात के हैं कि भाजपा शासित राज्य धीरे धीरे यूपीएस को अपनाने की शुरुआत कर सकते हैं।
Integrated Pension Scheme will have a two-way impact on the state treasury News: केंद्र सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) की घोषणा के बाद गेंद अब राज्यों के पाले में है। वे भी अपने कर्मचारियों के लिए मौजूदा नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के साथ यूपीएस को भी लागू कर सकते हैं। ऐसा करने पर राज्यों को पुरानी पेंशन बोजना (ओपीीएस) के साथ-साथ यूपीएस की बड़ी हुई राशि का भी बोझ भी उठाना होगा। इससे राज्यों के खजाने पर दोतरफा असर पड़ेगा। महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को अपने कैबिनेट की बैठक में यूपीएस लागू करने का भी फैसला कर लिया है. संकेत इस बात के हैं कि भाजपा शासित राज्य धीरे धीरे यूपीएस को अपनाने की शुरुआत कर सकते हैं।
ऐसा होने पर यूपीएस के तहत अभी से राज्यों को कुल फंड में सरकार की बड़ी हुई हिस्सेदारी (मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत) के तहत अतिरिक्त राशि अपने राजस्व संग्रह से देना होगा। इसके साथ ही भविष्य के बड़े हुए दायित्व के हिसाब से आवश्यक फंड की व्यवस्था पर अभी से सोचना होगा। कांग्रेस ने अभी भी इस बारे में अपनी पत्ते नहीं खोले हैं. लिहाजा उनके राज्यों का क्या फैसला होगा यह अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन यह तय है कि यूपीएस या ओपीएस लागू करने का फैसला राज्यों के वित्तीय खाजाने पर बहुत भारी असर डालने वाला साबित होगा।
आंकड़ो के मुताबिक यूपीएस लागू करने का असर राज्यों के वित्तिय प्रबंधन पर वर्ष 2027-38 के बाद होगा. वजह यह है कि वर्ष 2004 के बाद सेवा में आनेवाले और एनपीएस लेनेवाले राज्य कर्मचारियों में से 20 प्रतिशत वर्ष 2037 तक सेवानिवृत होने वाली है.
इसके बाद के 15 वर्षों (वर्ष 2038-2052) के बीच ऐसे 60 प्रतिशत कर्मचारी सेवानिवृत होंगे। एनपीएस के तहत इन कर्मचारियों व सरकार के योगदान से निर्मित फंड से जी राशि बनती है, उससे ही इनकी पेंशन कर भुगतान किया जाता है। लेकिन अगर राज्य यूपीएस लागू करते हैं तो सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सुनिश्चित राशि बतौर पेंशन (अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औरत का 50 प्रतिशत) देना होगा। बाद में इसमें हर छह माह पर महंगाई भत्ता के ओड़ और ग्रेच्युटी के अतिरिक्त एकमुश्त राशि का संयुक्त बोझ भी उठाना होगा। इसका राज्यों पर कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा, इसका अभी कोई आकलन सामने नहीं आया है। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि उसके 23 लाख कर्मचारियों के लिए यूपीएस के तहत निर्मित फंड में अतिरिक्त 4.5 प्रतिशत योगदान (14 प्रतिशत से बढ़ा कर 18.5 प्रतिशत करने के कारण) से सिर्फ वर्ष 2025-26 में 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
उन राज्यों पर ज्यादा असर होगा जहां सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारियों ने एनपीएस लिया हुआ है। इस मामले में पांच सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ हैं। यूपी और राजस्थान दो ऐसे राज्य हैं, जहां एनपीएस वाले कर्मचारियों की संख्या पांच-पांच लाख से ज्यादा है। जाहिर है कि यूपीएस में जाने पर इन राज्यों पर ज्यादा असर होगा।
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