कई समस्याओं के बढ़ते जाने से जटिल हो गई मणिपुर की स्थिति

Rozanaspokesman

देश

राज्य में हथियारों की आसानी से उपलब्धता ने भी पूरी स्थिति जटिल कर दी है।

The situation in Manipur has become complicated due to the increase of many problems.

इंफाल : पूर्वोत्तर में बीते कुछ दशकों में सामने आई सबसे भीषण जातीय हिंसा के पीछे भू अधिकार, सांस्कृतिक प्रभुत्व और मादक पदार्थों की तस्करी का जटिल घालमेल है। यह मानना है यहां रहने वाले लोगों और क्षेत्र के विशेषज्ञों का। मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती, झड़पों के लिए कुकी आदिवासियों को दोषी ठहराते हैं। उनके अनुसार उनकी (कुकी जनजाति की) जड़ें अफीम की खेती, उग्रवाद और मेइती को एसटी का दर्जा देने की मांग के विरोध से जुड़ी हैं।

दूसरी ओर ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले कुकी समुदाय का आरोप है कि मेइती अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांगकर उनकी जमीन हड़पने की कोशिश कर उनके अस्तित्व को ही खतरे में डाल रहे हैं। वर्तमान में आदिवासी क्षेत्रों में परंपरागत कानून के तहत आदिवासियों के पास भूमि का स्वामित्व हो सकता है।

मणिपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंगोम दिलीप कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘कुकी लंबे समय से अफीम की खेती में शामिल हैं और इसने मणिपुर में एक मादक द्रव्य संस्कृति का निर्माण किया। जब सरकार ने उसे नष्ट कर दिया, तो इसने समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया।’’ कुकी लोगों के बीच असंतोष का एक अन्य कारण भाजपा सरकार का राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लागू करने का प्रस्ताव है, क्योंकि इस जनजाति के लोग पूर्वोत्तर के राज्यों व म्यांमा में जनजातियों से संबंधित हैं और अक्सर सीमाओं के आर-पार आते-जाते रहते हैं।.

राज्य में हथियारों की आसानी से उपलब्धता ने भी पूरी स्थिति जटिल कर दी है। राज्य दशकों तक उग्रवाद से प्रभावित रहा है जिसमें तीनों प्रमुख समुदाय - मेइती, नगा और कुकी- शामिल थे। मेइती नेताओं का दावा है कि सरकार के साथ अभियान (उग्रवाद) निलंबित रखने के समझौते पर हस्ताक्षर कर केंद्रीय बलों द्वारा संरक्षित शिविरों में रहने के लिए सहमति व्यक्त करने वाले कुकी उग्रवादी हथियारों के साथ खुलेआम घूम रहे हैं। हालांकि इस आरोप से असम राइफल्स सहमत नहीं है।.

असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एक शिविर में रहने वाले कम से कम 60 प्रतिशत लोगों को हर समय वहां रहना होता है, जबकि शेष अधिकृत अवकाश पर बाहर रह सकते हैं। हथियारों को दोहरे ताले में रखा जाता है जिसमें एक चाभी समूह के नेता के पास और दूसरी पुलिस के पास होती है।’’

कुकियों को ‘‘अतिक्रमित आरक्षित वन भूमि’’ से हटाने का अभियान भी आदिवासियों को रास नहीं आया है, जो अनादि काल से जंगलों को अपने अधिकारक्षेत्र में मानते हैं। कुकी समुदाय से आने वाले एक सेवानिवृत्त नौकरशाह एस. अथांग हाओकिप ने कहा कि भूमि की समस्या इस तथ्य से और जटिल हो जाती है कि मणिपुर की आबादी का लगभग 60 प्रतिशत मेइती समुदाय के हिस्से में राज्य की लगभग आठ प्रतिशत भूमि ही है, जो बेहद उपजाऊ इंफाल घाटी में है।

हाओकिप ने कहा, ‘‘अब वे पहाड़ी क्षेत्रों में भी विस्तार की तरफ देख रहे हैं। मणिपुर के मौजूदा कानून के तहत उन्हें हालांकि पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है। यही वजह है कि वे अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहे हैं।’’ उन्होंने अफीम की खेती को रोकने के सरकार के फैसले का स्वागत किया, लेकिन सवाल किया कि कैसे और क्यों प्रशासन पूरे दक्षिण पूर्व एशिया से मादक पदार्थों को राज्य में लाने और फिर भारत के अन्य हिस्सों में भेजे जाने की अनुमति दे रहा है।