'अगर सच में बीजेपी की कमान RSS के हाथ में होती तो...', मोहन भागवत ने किया बड़ा खुलासा
अगर बीजेपी की कमान वाकई RSS के हाथ में होती, तो "नए अध्यक्ष का फैसला इतना वक्त न लेता: मोहन भागवत
Mohan Bhagwat:भागवत नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम '100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज' को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में साफ कहा कि अगर बीजेपी की कमान वाकई RSS के हाथ में होती, तो "नए अध्यक्ष का फैसला इतना वक्त न लेता।"
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अगर आरएसएस ही भाजपा अध्यक्ष चुनता, तो क्या इसमें इतना समय लगता? उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ और भाजपा के बीच कोई मतभेद नहीं है, और संघ केवल सलाह दे सकता है, फैसला नहीं ले सकता। भागवत ने यह भी कहा कि वह शाखाओं के संचालन में निपुण हैं, जबकि भाजपा सरकार चलाने में निपुण है।
मोहन भागवत का यह बयान उस वक्त आया है, जब बीजेपी में नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म हो चुका है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव और संगठनात्मक व्यस्तताओं के चलते उन्हें दो बार कार्यकाल विस्तार दिया गया।
अब बीजेपी के सामने नया नेतृत्व चुनने की बारी है और विपक्ष बार-बार यह आरोप लगाता रहा है कि बीजेपी के फैसले RSS के इशारे पर होते हैं। भागवत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि RSS अपने स्वयंसेवकों पर भरोसा करता है और कोई भी फैसला सामूहिक रूप से लिया जाता है।
ट्रंप टैरिफ मोहन भागवत का बयान
मोहन भागवत ने अमेरिकी टैरिफ के बाद स्वदेशी के लिए पहल करने की अपील की और सरकार को सलाह दी कि किसी के उकसावे में न आएं। भागवत ने ट्रंप को भी नसीहत देते हुए कहा कि दबाव में व्यापार नहीं किया जाता।
भागवत ने कहा, "आत्मनिर्भरता को अपने घर से शुरू करें। जब स्वदेशी की बात करते हैं तो लगता है कि विदेशों से संबंध नहीं रहेंगे। ऐसा नहीं है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार तो होगा, लेकिन इसमें दबाव नहीं, स्वेच्छा होना चाहिए। इसलिए स्वदेशी का पालन करना है। अपने घर की चौखट के अंदर अपनी भाषा और अपनी वेशभूषा चाहिए। भाषा, भूषा, भजन, भोजन अपने घर के अंदर अपना, अपनी परंपरा का चाहिए। जहां आवश्यक है, अपनी भाषा के शब्द प्रयोग करो।"
RSS और बीजेपी का रिश्ता?
आरएसएस और बीजेपी का रिश्ता काफी पुराना और गहरा है। दोनों संगठनों के बीच विचारधारा और उद्देश्य की समानता है, जो उनके संबंधों को मजबूत बनाती है और कई मौकों पर RSS के स्वयंसेवक बीजेपी के लिए रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।हालांकि मोहन भागवत ने साफ किया कि RSS, बीजेपी के रोजमर्रा के कामकाज में दखल नहीं देता।
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