'Aakhir Palaayan Kab Tak' Real Story: हिन्दुओं इस्लामिक 'वक्फ बोर्ड' के अत्याचार की कहानी को दिखाएगी "आखिर पलायन कब तक"
फिल्म "आखिर पलायन कब तक" का ट्रेलर रिलीज हो चुका है जिसे लोगों ने काफी प्यार दिया है. फिल्म के ट्रेलर में कई ऐसे दृश्य है जो आपको रूला सकते हैं.
Is 'Aakhir Palaayan Kab Tak' Movie Based on True Real Story?: बॉलीवूड में हर साल कई फिल्में रिलीज होती है जिसमें से ज्यादातर फिल्म का उदेश्य लोगों का मनोरंजन करना और पैसा कमाना होता है. वहीं इंडस्ट्री बहुत ही कम ऐसी फिल्में बनाती है जो समाज के कई बड़ी समस्याओं को उजागर करती है. 'द कश्मीर फाइल्स' 'द केरला स्टोरी' वैसी फिल्में रही जिसने दमदार कमाई के साथ-साथ हमारे सामाज की सच्चाई को दिखाई. इन फिल्मों से आज के युवाओं को काफी कुछ जानने को मिला. वहीं अब एक और रियलस्टिक फिल्म "आखिर पलायन कब तक" सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है जो आपको हमारे समाज की एक और सच्चाई से परिचय करवाएगी.
फिल्म "आखिर पलायन कब तक" का ट्रेलर रिलीज हो चुका है जिसे लोगों ने काफी प्यार दिया है. फिल्म के ट्रेलर में कई ऐसे दृश्य है जो आपको रूला सकते हैं.
फिल्म पलायन और मर्डर मिस्ट्री से सम्बंधित है। फिल्म में आपको बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेता राजेश शर्मा, भूषण पट्टियाल, गौरव शर्मा, धीरेंद्र द्विवेदी, चितरंजन गिरि और सोहानी कुमारी देखने को मिलने वाले हैं. फिल्म 16 फररवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होनी है.
Is 'Aakhir Palaayan Kab Tak' Movie Based on True Real Story?
फिल्म को मुकुल विक्रम जी ने डायरेक्ट किया है. फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि यह किसी सच्ची घटना पर अधारित तो नहीं ? तो आपको बता दें कि फिल्म वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित है. फिल्म में धर्म से लेकर राजनीति की कहानी को दिखाया गया है.
निर्देशक मुकुल विक्रम के अनुसार, आखिर पलायन कब तक में हिन्दुओं पर मुसलमानों द्वारा की गई जानबूझकर टारगेटिंग की कहानी को दिखाया गया है. इस फिल्म में दिखाया जाएगा कि कैसे एक मुस्लिम बोर्ड (वक्फ बोर्ड) हिन्दुओं की जमीन पर कब्जा करता है.
सच्ची घटना पर आधारित है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक ऐसे परिवार की है जो कि कश्मीरी पंडित है और इनकी ज़मीन पर रातो रात वक्फ बोर्ड का बोर्ड लगा दिया जाता है। इनकी ज़मीन को वक्फ बोर्ड द्वारा अवैध घोषित कर के कब्जा कर लिया जाता है और जब वह अपनी शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन में जाते है तो पुलिस प्रशासन उनको किसी प्रकार की मदद देने के बजाए अपनी ही ज़मीन के लिए वक्फ बोर्ड के सामने मदद मागने के लिए कहते है। यह कहानी पूर्ण रूप से सच्ची घटना पर आधारित है, देश के तकरीबन हर राज्य में ही हमे इस मसले पर विवाद देखने के लिए आसानी से मिल जाता है।
"कश्मीर फाइल्स" और "द केरल स्टोरी" के बाद यह कहानी कश्मीरी पंडितो के साथ न्याय करती है क्योकिं कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन के पुख्ता कागज नहीं होते है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देने होते है।
आपके बता दें कि वक्फ बोर्ड के पास भारतीय रेलवे और भारतीय सेना के बाद तिसरे नंबर पर सबसे ज्यादा ज़मीन है और यह कहानी इसी सच पर निर्धारित है।
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