फिल्म उद्योग पुरुष प्रधान है, लेकिन बदलाव आया है: रवीना टंडन
वीना टंडन ने ‘मन की बात एट 100’ सम्मेलन में ये बात कही.
New Delhi: अभिनेत्री रवीना टंडन ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 कड़ी पूरे होने के अवसर पर बुधवार को आयोजित ‘मन की बात एट 100 पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ कार्यक्रम में चर्चा के दौरान कहा कि हिंदी फिल्म उद्योग में महिलाओं ने कैमरे के आगे और कैमरे के पीछे दोनों ही मोर्चों पर ‘‘धारणाओं को तोड़ने’’ का काम किया है और पुरुष प्रधान सभी क्षेत्रों में अपनी जगह बनाई है।
1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में हिंदी सिनेमा में अपने अभिनय का जलवा बिखेरने वाली टंडन ने कहा कि फिल्म उद्योग को टीवी और ओटीटी (ओवर दी टॉप) मंचों से सीखना चाहिए जहां महिलाओं को अच्छा पैसा मिलता है और महिला प्रधान कार्यक्रमों का निर्माण भी किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम महिलाओं के मेहनताने में भेदभाव के बारे में बात करते हैं लेकिन टीवी उद्योग में आज महिलाओं को उनके काम की वजह से उनके पुरुष समकक्षों से ज्यादा भुगतान किया जाता है जो अच्छी चीज है और मैं समझती हूं कि टीवी उद्योग में महिलाएं राज करती हैं। ओटीटी मंच पर भी अधिकतर महिला प्रधान और महिलाओं के विषय पर कार्यक्रम होते हैं।’’
यहां ‘नारी शक्ति’ सत्र को संबोधित करते हुए 48 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा, ‘‘फिल्म उद्योग में हम धीरे-धीरे लेकिन पक्के तौर पर इस दिशा में बढ़ रहे हैं क्योंकि शुरुआत से ही यह एक पुरुष प्रधान उद्योग रहा है लेकिन निश्चित रूप से इसमें कुछ बदलाव आए हैं...।’’
टंडन ने कहा कि प्रतिनिधित्व और मेहनताने में भेदभाव जैसे मुद्दे उद्योग में अब भी बने हुए है लेकिन ऊंचे पदों पर महिलाओं के आने के साथ इसमें बदलाव आने लगा है। अभिनेत्री ने कहा, ‘‘...आज की दुनिया में, बदलाव आ रहा है क्योंकि सभी शीर्ष पदों जैसे कि निर्देशन या फोटोग्राफी, हमारी कोरियोग्राफर, निर्देशक, निर्माता, मंच की प्रमुख और चैनल प्रमुख सभी महिलाएं ही हैं।’’
‘पद्म श्री’ से सम्मानित अभिनेत्री ने कहा, ‘‘इसलिए जो अवसर हमें मिलने चाहिए, अब हमें मिल रहे हैं। निर्माता के तौर पर एक महिला इन मुद्दों को समझती है, वह इस संवेदनशीलता को समझती है। उसमें वह समझ होती है इसलिए हमें अधिक अवसर मिल रहे हैं।’’
फिल्म ‘दमन’, ‘मातृ’ और ‘अरण्यक’ जैसी वेब सीरीज के लिए मशहूर टंडन ने कहा कि 90 के दशक में हिंदी सिनेमा की अभिनेत्रियों को अपनी छवि को तोड़ने के लिए ‘‘जूझना’’ पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘‘फिल्म उद्योग में काफी बदलाव आया है जो 90 के दशक में नहीं था। आपको सिर्फ एक खास किस्म की छवि वाली भूमिकाएं निभानी पड़ती थीं।’’
अभिनेत्री ने 2001 की फिल्म ‘दमन’ में एक ऐसी महिला का किरदार निभाया था जो वैवाहिक बलात्कार का शिकार होती है। इस फिल्म के लिए अभिनेत्री को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। उन्होंने कहा कि उनकी फिल्मी यात्रा उन सामाजिक मुद्दों का प्रतिबिंब है जिनका वह समर्थन करती हैं। टंडन ने कहा कि घरेलू हिंसा और वैवाहिक बलात्कार जैसे मुद्दे छिप जाते हैं और कल्पना लाजमी निर्देशित ‘दमन’ जैसी फिल्म की कहानी लाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।.
उन्होंने कहा, ‘‘उस वक्त मुझे कोई स्वीकार्यता नहीं मिली और मैंने काफी संघर्ष किया लेकिन फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता क्योंकि यह समय से काफी पहले की फिल्म थी। आज 23 साल बाद भी हम इस पर (वैवाहिक बलात्कार पर) बात कर रहे हैं।’’
अभिनेत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रसार भारती को मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 100 कड़ी पूरे होने पर बधाई दी जो 30 अप्रैल को प्रसारित होने वाला है।
‘मन की बात’ कार्यक्रम को भारतीयों से रेडियो के जरिए जुड़ने का एक ‘‘बेहतरीन विचार’’ करार देते हुए टंडन ने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल देश के गुमनाम नायकों को सबकी नजर में ले आती है जिनके प्रयास अक्सर मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्ट नहीं हो पाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे समाज का निचला तबका जो इतने सारे नायकों का घर है... इतने सारे लोगों ने स्थानीय स्तर पर कई बदलाव किए हैं... यह उन लोगों के प्रयासों को उजागर करता है जिनके बारे में हम अक्सर अखबारों में नहीं पढ़ पाते हैं।’’
टंडन ने कहा, ‘‘लेकिन सर (मोदी) इन नायकों को सबसे आगे लाते हैं और इस जनसंपर्क के माध्यम से देश को प्रेरित करते हैं। यह इतना सफल है कि इस माध्यम से उन्होंने देश में सभी के दिलों को छू लिया है।’’
एक दिवसीस कार्यक्रम ‘मन की बात एट 100 पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ का उद्घाटन बुधवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया, जिसमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल हुए।