'The Bengal Files' Real Story News: 'द बंगाल फाइल्स' की असली कहानी, एक दर्दनाक इतिहास जो भुलाया नहीं जा सकता
कलकत्ता में हुई हिंसा के बाद, इसकी आग बंगाल के नोआखली जिले (जो अब बांग्लादेश में है) तक फैल गई।
'The Bengal Files' Real Story News In Hindi: निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की 'द फाइल्स' ट्रिलॉजी की तीसरी और अंतिम फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' इन दिनों खूब चर्चा में है। यह फिल्म इतिहास के एक बेहद दर्दनाक और क्रूर अध्याय पर आधारित है, जिसे अक्सर भुला दिया जाता है या नजरअंदाज कर दिया जाता है। फिल्म की कहानी 1946 के 'डायरेक्ट एक्शन डे' और 'नोआखली दंगों' की वास्तविक घटनाओं पर आधारित है।
फिल्म की कहानी और असली इतिहास
'द बंगाल फाइल्स' की कहानी दो अलग-अलग समय-सीमाओं में चलती है। एक तरफ वर्तमान में एक सीबीआई ऑफिसर (दर्शन कुमार) एक गुमशुदा लड़की के केस की जांच कर रहा है, और दूसरी तरफ, कहानी हमें ब्रिटिश भारत के उस दौर में ले जाती है, जब देश आजादी की दहलीज पर खड़ा था। यह फिल्म इन्हीं दो समयों को जोड़ते हुए उस दर्दनाक इतिहास को सामने लाती है, जो आज भी बंगाल के दिल में एक घाव की तरह है।
क्या था 'डायरेक्ट एक्शन डे' (16 अगस्त, 1946)?
यह फिल्म मुख्य रूप से 'ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स' के नाम से मशहूर 16 अगस्त, 1946 की घटना पर केंद्रित है। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग को लेकर 'डायरेक्ट एक्शन डे' का आह्वान किया था। इस आह्वान के बाद, कलकत्ता (अब कोलकाता) में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दिन हजारों हिंदुओं का कत्लेआम किया गया था। सड़कें लाशों से पट गई थीं, और बड़े पैमाने पर लूटपाट और आगजनी हुई थी।
नोआखली दंगे (अक्टूबर, 1946)
कलकत्ता में हुई हिंसा के बाद, इसकी आग बंगाल के नोआखली जिले (जो अब बांग्लादेश में है) तक फैल गई। अक्टूबर 1946 में यहां भी हिंदुओं पर बड़े पैमाने पर हमले हुए, जिसमें हजारों लोग मारे गए। घरों को जला दिया गया, धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया, और कई हिंदुओं को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया।
फिल्म में 'गोपाल पाठा' (गोपाल चंद्र मुखोपाध्याय) जैसे वास्तविक किरदारों को भी दिखाया गया है, जिन्होंने उस भयावह हिंसा के दौरान हिंदू समुदाय की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई की थी।
'द बंगाल फाइल्स' इन घटनाओं को बेहद क्रूर और ग्राफिक तरीके से दिखाती है, जिसका उद्देश्य दर्शकों को उस भयावह त्रासदी से रूबरू कराना है। यह फिल्म उस ऐतिहासिक सत्य को सामने लाती है, जो भारत के विभाजन और सांप्रदायिक राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
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