हाई कोर्ट के वकील भी सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं किसानों के प्रति नफरत, Fact Check रिपोर्ट
पहली बात तो यह कि वीडियो पुराना है और बाइकर्स की नारेबाजी के वीडियो का किसी किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है.
RSFC (Team Mohali)- किसान संघर्ष 2024 को लेकर सोशल मीडिया पर फर्जी और भ्रामक दावों की बाढ़ आ गई है। आम जनता ही नहीं पत्रकार भी किसानों को लेकर भ्रामक जानकारियां साझा कर रहे हैं। अब इन सबके बाद कथित तौर पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील अखिलेश त्रिपाठी ने भी 2 वीडियो शेयर कर किसानों के प्रति नफरत फैलाने का काम किया है।
वकील ने एक वीडियो साझा किया जिसमें कुछ निहंग सिख पुलिस पर हमला करते नजर आ रहे हैं और वकील ने एक और वीडियो साझा किया जिसमें कुछ बाइक सवार युवकों को उग्र नारे लगाते देखा जा सकता है। वकील ने कहा कि दोनों वीडियो हाल के हैं और वायरल हो गए हैं, जिससे किसानों के संघर्ष के प्रति नफरत फैल रही है।
इन दोनों पोस्ट को नीचे क्लिक करके देखा जा सकता है;
रोसन्ना स्पोक्समैन की टीम ने दोनों वीडियो की जांच की और पाया कि दोनों वायरल दावे फर्जी हैं। पहली बात तो यह कि वीडियो पुराना है और बाइकर्स की नारेबाजी के वीडियो का किसी किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है। हमने इन दोनों वीडियो की एक-एक करके जांच की।
पहला वीडियो
इस वीडियो में कुछ निहंग सिख पुलिस पर हमला करते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो की पड़ताल करते हुए हमने सबसे पहले इस वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले और उन पर रिवर्स इमेज सर्च किया। जिसके बाद इसकी सचाई सामने आई।
ये वीडियो पुराना है
हमें जनवरी 2021 में शेयर किया गया ये वीडियो मिला। आपको बता दें कि यह वीडियो 2020 में किसानों के दिल्ली पलायन से जुड़ा है। जिसे 27 जनवरी 2021 को शेयर किया गया वहीं वीडियो नीचे देखा भी जा सकता है।
दूसरा वीडियो
इस वीडियो में कुछ बाइक सवार युवकों को उग्र नारे लगाते देखा जा सकता है। आपको बता दें कि ये वीडियो पहले ही वायरल हो चुका है। आपको बता दें कि इस वीडियो को साल 2021 में प्रधानमंत्री मोदी के पंजाब दौरे से जोड़ा गया था। यह वीडियो 26 दिसंबर 2021 का है। वीडियो में दिख रहा मार्च बहबल कलां गोलीकांड के न्याय के लिए निकाला गया था।
ये वीडियो फरीदकोट का था और हमने इस बारे में हमारे दैनिक प्रवक्ता फरीदकोट प्रभारी सुखजिंदर सिंह से बातचीत की। सुखजिंदर ने वीडियो की पूरी जांच की और हमें असली कहानी बताई। सुखजिंदर ने हमें बताया, "यह वीडियो बहबल कलां गोलीकांड में न्याय के लिए एक मार्च का वीडियो है। वायरल वीडियो गांव जीवनवाला से बहबल कलां तक एक मार्च का है, जो मोगा कोटकपुरा रोड से बहबल कलां के रास्ते पर है। दोनों वीडियो 26 दिसंबर 2021 के हैं।"
निष्कर्ष- रोसन्ना स्पोक्समैन की टीम ने दोनों वीडियो की जांच की और पाया कि दोनों वायरल दावे फर्जी हैं। पहली बात तो यह कि वीडियो पुराना है और बाइकर्स की नारेबाजी के वीडियो का किसी किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है।