विदेशी खिलाड़ी के ‘पैर चूमने’ की वजह से केरल के फुटबाल कमेंटेटर की बढ़ी परेशानी
कमेंटेटर ने कालिउज्नी के पैर को चूमते हुए कहा, "यह मेरा चुंबन नहीं है। यह केरल का चुंबन है...पूरा राज्य आपको धन्यवाद देना चाहता है।" अब उनकी....
तिरुवनंतपुरम: यह भले ही जोश में किया गया हो लेकिन एक साक्षात्कार के दौरान केरला ब्लास्टर्स के यूक्रेनी आईएसएल खिलाड़ी के ‘पैर चूमने’ की वजह से एक जाने-माने मलयालम फुटबॉल कमेंटेटर की मुश्किल बढ़ गई है और उसकी इस हरकत की फुटबाल प्रेमियों समेत तमाम लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर कड़ी निंदा की जा रही है।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद नाराज नेटिज़न्स ने कमेंटेटर शैजू दामोदरन को "पूरे केरल" के नाम पर ऐसी हरकत करने और इसमें पूरे मलयाली समुदाय को घसीटने को लेकर फटकार लगाई।
विवादास्पद घटना एक यूट्यूब चैनल के लिए इवान कालिउज्नी के साथ हाल में उनके साक्षात्कार के दौरान हुई।
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में यहां 13 नवंबर को यूक्रेनी खिलाड़ी द्वारा एफसी गोवा के खिलाफ किए गए गोल से उत्साहित दामोदरन को वीडियो में अचानक खिलाड़ी के बाएं पैर को अपनी गोद में रखते और इसे चूमते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान वह यह कहते दिखाई देते हैं कि "यह चुंबन मेरा चुंबन नहीं, बल्कि पूरे केरल का है।"
कमेंटेटर ने कालिउज्नी के पैर को चूमते हुए कहा, "यह मेरा चुंबन नहीं है। यह केरल का चुंबन है...पूरा राज्य आपको धन्यवाद देना चाहता है।"
अपनी विशिष्ट शैली की अभिव्यक्ति और कमेंटरी के लिए मशहूर दामोदरन कई बार यह दोहराते दिखते हैं कि "यह केरल का चुंबन है"। विदेशी फुटबॉलर इस घटनाक्रम से असहज होकर अपना पैर पीछे खींचने की कोशिश करते दिखे।.
यूट्यूब चैनल पर आए वीडियो पर कमेंट बॉक्स में लोगों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।
इस घटना से नाराज एक नेटिजन ने कमेंटेटर की आलोचना की और उनसे पूछा कि उन्हें अपने "बेशर्म कृत्य" के लिए पूरे मलयाली समुदाय को घसीटने का अधिकार किसने दिया।
वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने दामोदरन से कहा कि वह केरलवासियों से उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाले व्यवहार के लिए माफी मांगें।
नेटिजन ने कहा, ‘‘मैं आपका (दामोदरन) और केरला ब्लास्टर्स का प्रशंसक हूं...लेकिन मैं उस केरल से नहीं हूं जिसके बारे में आपने साक्षात्कार में जिक्र किया था।’’
मामले में एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि किसी के पैर छूना या उसे चूमना विशुद्ध रूप से व्यक्तिगत चीज है लेकिन इसमें राज्य और उसके लोगों का नाम घसीटने की कोई जरूरत नहीं थी।
इस मुद्दे पर जोरदार बहस छिड़ गई है। हालांकि दामोदरन टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए।