बजट में आंकड़ों की बाजीगरी बड़े साफगोई से की गई है : राजु तिवारी

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

उन्होंने कहा कि रोजगार के नाम पर भी सरकार ने केवल छलावा किया है।

Juggling of figures in the budget has been done very clearly: Raju Tiwari

पटना (संवाददाता): लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने बिहार सरकार के बजट को लोक-लुभावन और चुनावी बताया है। पटना के श्रीकृष्णापुरी स्थित लोजपा (रा) के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष  राजू तिवारी ने कहा कि बजट में आंकड़ों की बाजीगरी बड़े साफगोई से की गई है। जिससे स्पष्ट पता चलता है कि विकास सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। 

 तिवारी ने बताया कि स्वास्थ्य को लेकर बजट में पीएमसीएच के विश्वस्तरीय निर्माण के लिए 5500 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गई है, जो इससे पहले के बजट में भी दिखाया गया है। बजट के तहत प्रत्येक विधानसभा में 5 पीएचसी खोलने की सरकार बात कर रही है वही मौजूदा पीएचसी में बहाली के अभाव में डॉक्टर मौजूद नहीं है, क्योंकि उनकी  बहाली नहीं की गई।

रोजगार के नाम पर भी सरकार ने केवल छलावा किया है। रटा-रटाया 10 लाख रोजगार देने लक्ष्य रखा गया है, जबकि यह लक्ष्य विगत 2 वर्ष पूर्व 2020 के चुनावी घोषणा-पत्र में राजद द्वारा घोषित की गई थी। प्रदेश उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि कैबिनेट के पहले दिन पहली कलम से 10 लाख रोजगार देंगे, लेकिन वह सीफर साबित हुआ है। 

स्कूलों में 40 हजार 506 प्रधान शिक्षकों की बहाली, बिहार लोक सेवा आयोग में 49 हजार पद,  44 हजार 193 माध्यमिक शिक्षक और बिहार कर्मचारी चयन आयोग में 29 सौ एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा में 89 हजार 724 जबकि पुलिस विभाग में 75 हजार 543 पदों की मंजूरी दी है। लेकिन इसके लिए वितीय व्यवस्था का जिक्र नहीं किया गया है और ना इसकी कोई समय सीमा तय की गई है।

बात उधोग की करें तो बिहार में बिमारू उधोग के पुर्नरूधार या घरेलु उद्यमिता विकास का कोई जिक्र नहीं किया गया है। कृषि- बजट में किसान गरीब गांव एवं मजूदरों के लिए ऐसा कोई भी प्रभावशाली कदम नही दिख रहा है, जिससे किसानों में जिंदगी बेहतर हीने की उमीद जगे। 2.61 करोड़ के बजट प्रस्ताव में योजनाओं पर मात्र 38.20 प्रतिशत यदि 1 लाख करोड़ खर्च करने का अनुमान किया गया है जिससे यह स्पष्ट है कि विकास सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।

सरकार के निर्भरता राजस्व को लेकर केन्द्रीय करों में राज्यों के हिस्सेदारी पर टिकी हुई है। पिछले वितीय वर्षों मे बिहार को केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर 95 हजार 509.85 करोड़ मिलने की अनुमान है। वहीं वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 102, 737.36 करोड़ होने का अनुमान है। जिससे अगामी वितीय वर्ष में केन्द्रीय सरकार से 53,377.92 करोड़ प्राप्त होने की उमीद है। सरकाथ बजट में डेढ़ लाख के करीब नए पदों के सृजन की बात कही जा रही है जबकि पुराना वायदा अभी पूरा नहीं हुआ है और इस नवसृजित पद के लिए फंड कहां से आएगा इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है जबकि राज्य सरकार मौजूदा संविदा कर्मियों को वेतन समय पर नहीं दे पा रही है जिस पर भरोसा करना बिल्कुल कहीं से न्याय संगत नहीं है। यह बिहार के बेरोजगारों को धोखा दिए जाने से ज्यादा कुछ नहीं है।

राज्य के समावेशी विकास की बात ना करके सरकार लोकलुभावन योजनाएं साइकिल पोशाक और छात्रवृत्ति में ही सिमट कर रह गई है जिससे राज्य का समावेशी विकास कहीं नहीं दिखाई दे रहा। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 1 करोड़ 62 लाख 73 हजार नौजवान छात्रवृति के आभाव में अपनी पढ़ाई लिखाई बंद करने के कागार पर है। बजट में कोई प्रावधान नहीं है।

बिहार में 52 प्रतिशत गरीबी रेखा से निचे है। इनके उत्थान के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है। अभी बिहार नीति आयोग के रिपोर्ट के अनुसार 19वें नम्बर पर है जबकि आप वजये तीसरे पावदान बता रहे है। ये सफेद झुठ है। उद्योग में 1 प्रतिशत का बजट है स्व रोजगार कैसे बढायेंगे। इस आशय की जानकारी पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी कुंदन पासवान ने दिया।