कॉफ्फेड ने मछुआ समितियों के साथ इंद्रपुरी जलाशय पर किया जल सत्याग्रह
मौजूदा 2023 में बिहार पर कर्ज 2,13,406 (दो लाख तेरह हजार चार सौ छह) करोड़ है.
सासाराम: इंद्रपुरी जलाशय पर कॉफ्फेड ने अपने मछुआरा समिति के सैकड़ों सदस्यों के साथ जल सत्याग्रह किया। इस सत्याग्रह में सैकड़ों महिलाओं ने भी भाग लिया। कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक श्री ऋषिकेश कश्यप ने नीतीश सरकार और अन्य राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि मछुआरा किसी का वोट बैंक नहीं है जो पार्टी मछुआरों के लिए काम करेगी मछुआरे उनके लिए काम करने को तैयार है। नीतीश सरकार को इंद्रपुरी जलाशय के साथ अन्य जगहों की खुली डाक बंद करनी चाहिए नहीं तो कॉफ्फेड मछुआरों के मौलिक अधिकारों के लिए गंभीर जल सत्याग्रह जारी रखेगा।
कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि वर्ष 2022-23 में बिहार ने पूरे भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते हुए 10.64 फीसदी की सर्वाधिक वृद्धि हासिल की। इस वृद्धि में मत्स्य क्षेत्र का बहुत बड़ा हाथ है जिसके कारण भारत सरकार ने मत्स्य क्षेत्र को विकास में रीढ़ के रूप में स्वीकार भी किया है, पर नीतीश सरकार मछुआरा समाज को रीढ़ विहीन करने पर तुली हुई है वह जल माफियाओं को संरक्षण देते हुए मछुआरा समितियों को दरकिनार कर जलाशयों को खुली डाक के माध्यम से माफियाओं को देने की चाल चल रही है। सरकार की इस मंशा को कॉफ्फेड कभी सफल नहीं होने देगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा 2023 में बिहार पर कर्ज 2,13,406 (दो लाख तेरह हजार चार सौ छह) करोड़ है. बिहार के प्रत्येक व्यक्ति पर लगभग 19000 रुपये का कर्ज होता है. सरकार मछुआरा समाज की सही ढंग से मदद् करे तो बिहार के प्रत्येक व्यक्ति का कर्ज निषाद समाज अकेले ही मेहनत के बल पर उतारने का दम रखता है। सरकार की नियत में ही खोट है वह मछुआरा समाज को मजबूत होने देना नहीं चाहती और उसके मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। मालूम हो कि बिहार में मछली का मांग 10 लाख मैट्रिक टन है परन्तु उत्पादन मात्र 8 लाख मैट्रिक टन है। 2 लाख मैट्रिक आन्ध्रप्रदेश एवं पश्चिम बंगाल से आयात किया जाता है। जिस पर लगभग 4 हज़ार करोड़ रूपये का खर्च बिहार वासियों को करना पड़ता है। रूपये खर्च करने के बाद भी बिहारवासी 3-4 दिन की बासी खाने पर विवश है।
कश्यप ने राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि पार्टियों को निषाद समाज की हितों से खिलवाड नहीं करना चाहिए। निषाद समाज ने प्रभु राम की सहायता कर उनसे कुछ आशा नहीं किया तो सदा आत्मनिर्भर रहा निषाद समाज सरकार से बस सम्मान और मौलिक अधिकार चाहता है। पूरे बिहार में सरकार जलाशयों की खुली डाक नहीं कर मछुआरा समाज की मत्स्यजीवी समितियों को सौपें। सरकार द्वारा मांगें नहीं माने जाने तक कॉफ्फेड बिहार में जल सत्याग्रह करता रहेगा।
इस अवसर पर कॉफ्फेड के अध्यक्ष प्रयाग साहनी, निदेशक धर्मेन्द्र साहनी एवं ब्रजेन्द्र नाथ सिन्हा के आलावे मुकेश कुमार मल्लाह, जिलाध्यक्ष, रोहतास, सोनू चौधरी, रामनाथ चौधरी, राजेन्द्र चौधरी, बासूदेव चौधरी, गोपाल चौधरी, महेन्द्र चौधरी, संजय चौधरी (मुखिया), अवधेश चौधरी (व्यास जी), संजय चौधरी, मंत्री सिकंदर चौधरी, अध्यक्ष तिलौथू प्रखण्ड, करीबन राम, मंत्री आनंद चौधरी, अध्यक्ष डेहरी ऑन सोन प्रखण्ड, गुलाबचंद चौधरी, मंत्री, बारून प्रखण्ड, कृष्णा बिंद, धनैया देवी, मंत्री, शिवसागर प्रखण्ड, सुरेन्द्र सहनी, संझौली प्रखण्ड, प्रताप छनुलाल, कराकाट प्रखण्ड, कलक्टर चौधरी, मंत्री, विनोद चौधरी, अध्यक्ष, नासरीगंज, प्रखण्ड, महेन्द्र चौधरी, मंत्री, जनेश्वर चौधरी, अध्यक्ष, नौहट्टा, रामेश्वर चौधरी, मंत्री, धर्मराज चौधरी, अध्यक्ष, रोहतास, संजीव मोहन, मंत्री, देवराज चौधरी, अध्यक्ष, सासाराम, मुन्ना चौधरी, जिलाध्यक्ष, कैमूर, श्याम सुंदर बिन्द, अध्यक्ष, चेनारी, कुंवर चौधरी, लल्लु चौधरी, एवं दिनेश सहनी उपस्थित थे।