शैक्षणिक क्रांति से बड़ा जीवन का कोई संघर्ष नही है : सत्यानंद शर्मा
अभी भी समाजिक न्याय की जरूरत है। समारोह की अध्य्क्षता मनोज मालाकार ने किया।
पटना ( राकेश कुमार) : माला बनाने वाले माला पहने वाला बनों। शिक्षा एक ऐसा मंत्र है जो विकास का सब द्वार खोल देता है। शैक्षणिक क्रान्ति से बड़ा जीवन का कोई संघर्ष नही है। यह बात आज लोजपा-(रा) के वरिष्ठ नेता सत्यानंद शर्मा,युवा लोजपा-(रा) के राष्ट्रीय महासचिव अनिल कुमार पासवान एवं पूर्व विधान पार्षद अजय अलमस्त ने माली मालाकार कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित देश की प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्रीबाई फूले के जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस काल में महात्मा फूले के श्रेय से सावित्रीबाई शिक्षिका बनी थी उस काल में दलितों, वंचितों को शिक्षा का अधिकार नही था देश में जातीय और समाजिक विषमता बहुत ही गंदा भेदभाव वाला था।
लम्बें संघर्ष के बाद,पेरियार, महात्मा फूले, डॉ.भीमराव अम्बेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर, रामविलास पासवान जैसे नेताओं ने समाजिक विषमता की खाई को पाटने का काम किया। समाजिक सौहार्द बनाया है। अभी भी समाजिक न्याय की जरूरत है। समारोह की अध्य्क्षता मनोज मालाकार ने किया।
इस अवसर पर अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव अमरदीप कुमार, रणधीर मालाकार, मदन प्रसाद, बिरेन्द्र प्रसाद, बैजनाथ प्रसाद, विजय मालाकार, संदीप मालाकार और मीरा यादव ने अपने विचार व्यक्त किये।