मल्लाह जाति को राजनीतिक रूप से कम आंकने का प्रयास
इसमें केवट, मल्लाह, वनपर, चाय,विंद तियर मोरियारी और गोडी समेत इसकी अन्य जातियों को शामिल किया गया है।
Patna: पुनाईचक मेंअवस्थित बिहार निषाद संघ के प्रदेश कार्यालय में सचिव मंडल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए संध के प्रदेश अध्यक्ष ई हरेंद्र प्रसाद निषाद ने कहा कि संघ द्वारा जातीय जनगणना के एक वर्ष पूर्व से ही मल्लाह के विभिन्न उपजातियों को मल्लाह वर्ग में ही रखने की मांग की जा रही थी। इस संबंध में अत्यंत पिछड़ा वर्ग आयोग को भी लिखित रुप से ज्ञापन दिया गया था किन्तु सरकार ने यादव एवं बनिया की तरह मल्लाह को एक कोटि में न रखकर उसे आठ भाग में विभाजित किया है।
इसमें केवट, मल्लाह, वनपर, चाय,विंद तियर मोरियारी और गोडी समेत इसकी अन्य जातियों को शामिल किया गया है। यह अत्यंत पिछड़ा वर्ग में बड़ी ताकत रखने वाली मल्लाह जाति को राजनीतिक से रूप कम आंकने का प्रयास है।संघ के कार्यकारी प्रधान महासचिव धीरेन्द्र कुमार निषाद ने कहा कि मल्लाह को जितने भी समूह में बाटा गया है उनके नेताओं को सोचना होगा कि वे अलग-अलग रहकर अपने को अत्यंंत पिछड़ा वर्ग की राजनीति को नुकसान पहुचाना चाहते है या एक ही मल्लाह जाति में रहने के लिए सरकार से मांग करेगें।इस जातीय जनगणना के आकड़ों से मल्लाह संतुष्ट नहीं है। प्रदेश उपाध्यक्ष विनय कुमार विद्यार्थि ने कहा कि मल्लाह को एक वर्ग में रखा जाता तो इसकी आबादी आठ प्रतिशत से अधिक होती और मल्लाह तो यादव के बाद दुसरा स्थान होता ।मल्लाह के सभी उपजातियों के आकड़ा जोडने से दुसरा स्थान आता है।
महासचिव दिलीप कुमार निषाद ने कहा कि जातीय जनगणना कहीं से उचित नहीं है और इस जाति के साथ धोखा है।सभी मल्लाह जाति के संगठनों को मिलकर इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता है। महासचिव सुरेश प्रसाद निषाद ने कहा कि मल्लाह के सभी उपजातियों को एक प्लेटफॉर्म मल्लाह या निषाद शीर्ष मे समावेशित होकर अपने राजनीतिक एवं अन्य सभी अधिकारों के लिए सघर्ष करने की जरुरत है।बैठक में संघ के प्रदेेश उपाध्यक्ष शिवकुमार निषाद एवं प्रदेश महासचिव लाल बाबू सहनी की माॅ के निधन पर दो मिनट का मौन धारण कर इन दोनो को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई।