बिहार की 20 योजनाओं को रेलवे ने सिर्फ एक-एक हजार रुपए देकर जिंदा रखा है : जदयू
जदयू ने कहा कि केंद्र सरकार के रेलवे बजट में इजाफा महज दिखावा है।
पटना , (संवाददाता): जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधान पार्षद रणबीर नंदन एवं प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि केंद्र सरकार के रेलवे बजट में इजाफा महज दिखावा है। उन्होंने बताया कि रेलवे की रिपोर्ट से ही साफ है कि बिहार की 20 योजनाओं को रेलवे ने सिर्फ एक-एक हजार रुपए की राशि देकर जिंदा रखा है। कहने के लिए ये योजनाएं चल रही हैं लेकिन साफ तय है कि इन योजनाओं में कोई काम नहीं होगा। पटना साहिब में अतिरिक्त प्लेटफॉर्म के साथ आरा-सासाराम, मुजफ्फरपुर - सीतामढ़ी, दरभंगा - कुशेश्वरस्थान, मोतिहारी - सीतामढ़ी, सीतामढ़ी - जयनगर - निर्मली नई लाइन, भभुआ में यात्री टर्मिनल समेत 20 योजनाओं को सिर्फ एक हजार रुपए का आवंटन किया गया है। बिहार के भाजपा नेता रेल बजट पेश होने के बाद से हल्ला कर रहे हैं कि बिहार को बहुत कुछ मिला। तो भाजपा के ये नेता बिहार की जनता को ये बताएं कि इन 20 योजनाओं में एक हजार रुपए से कौन सा विकास होगा?
यह बिहार की जनता की भावनाओं के साथ क्रूर मजाक है और बिहार की जनता ऐसे घृणित मजाक को नहीं सहेगी। प्रवक्ताओं ने कहा कि रेल आम जनता से जुड़ा मामला है लेकिन मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में समाहित कर साफ कर दिया है कि उन्हें आम लोगों से कोई मतलब नहीं है। सरकार उन चुनिंदा योजनाओं के बारे बता देती है जिससे उसका चेहरा चमक जाए।
लेकिन आम बजट की आड़ में रेलवे की खस्ताहाली को छुपाने का प्रयास किया जाता है। बिहार में देश की आबादी का 10 फीसदी की जनसंख्या रहती है। लेकिन बजट के आवंटन में आबादी के अनुरुप योजनाओं का आवंटन नहीं होता है। इस बार भी नहीं हुआ। पैसेंजर वेल्फेयर की कोई बात नहीं हुई है। इतना बड़ा कुली वर्ग है, उसके वेलफेयर की बातें नहीं की गई हैं। उन्होंने कहा कि बिहटा औरंगाबाद रेल लाइन के लिए इस बार 20 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। लेकिन इसके साथ ही सरकार को बताना चाहिए कि यह योजना डेढ़ दशक से अधूरी है। वर्ष 2007 में पालीगंज खेल मैदान पर तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने बिहटा-औरंगाबाद नई रेल लाइन की आधारशिला रखी थी। लेकिन अब तक यह अधूरी ही रही। इस बार भी सिर्फ पैसे का आवंटन हुआ है, यह योजना कब पूरी होगी, रेलवे यह बताए। डॉ. नंदन ने कहा कि दो वंदे भारत ट्रेनों को पटना से शुरू करने की घोषणा हुई है। हम इसका स्वागत करते हैं। लेकिन क्या बिहार की जरुरत यही है?
आज भी बिहार आती ट्रेनों में सीट नहीं मिलती। रिजर्वेशन कराना मुश्किल है। सीट मिल गई तो रेलवे कैटरिंग की व्यवस्था बदहाल है। इसका कोई निदान निकालने की पहल मोदी सरकार नहीं कर रही है। भारतीय रेल पूरे विश्व में दूसरी सबसे बड़ी रेलवे व्यवस्था है लेकिन मोदी सरकार ने इसे आम जनता से दूर करने की ठान ली है। उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार रेल मंत्री थे, तो बिहार में रेलवे के क्षेत्र में कितना विकास हुआ यह सभी को पता है। उन्होंने बिहार को कई ट्रेनों की सौगात दी थी।
कई कारखाने भी नीतीश कुमार के रेल मंत्री रहते ही बिहार को मिले। इनमें नालंदा रेल कोच कारखाना आदि शामिल है। जबकि कोसी रेल पुल व मुंगेर रेल पुल समेत कई अन्य सौगात उन्होंने बिहार को दी। जबकि सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस, अर्चना एक्सप्रेस, उपासना एक्सप्रेस समेत कई अन्य ट्रेनें नीतीश कुमार की विशेष सौगातों में शुमार हैं।
आरा-सासाराम, मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी, दरभंगा-कुशेश्वरस्थान, मोतिहारी-सीतामढ़ी, सीतामढ़ी-जयनगर-निर्मली, मुजफ्फरपुर-कटरा-ओरल-जनकपुर रोड, आरा-भभुआ रोड, डेहरी ऑन सोन-बंजारी, नवादा-लक्ष्मीपुर, कुरसेला-बिहारीगंज, वजीरगंज-नटेसर-बरास्ता गहलौर, जयनगर-बीजलपुरा के बीच विस्तार, महेशखूंट-थाना बिहपुर, थाना बिहपुर-कुरसेला, गया-मानपुर हेतु बाइपास लाइन, नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ-उसरी लूप लाइनें,शेखपुरा-अतिरिक्त लूप, भभुआ रोड यात्री टर्मिनल, पटना साहिब में अतिरिक्त प्लेटफॉर्म। बिहार मे रेलमार्गों की कुल लम्बाई - 5400 किमी. पटना जंक्शन ने पूर्व मध्य रेल जोन में सबसे ज़्यादा सालाना राजस्व देता है। दूसरे स्थान पर दानापुर रेलवे स्टेशन वहीं मुजफ्फरपुर जंक्शन तीसरे स्थान पर है। रेलवे की सालाना राजस्व में पटना जंक्शन की कमाई 4.36 अरब, दानापुर स्टेशन की 2.01 अरब और मुजफ्फरपुर जंक्शन की कमाई 1.77 अरब दर्ज की गई है