नदियों में नाव-घाट परिचालन निषादों के लिए आरक्षित हो: बिहार निषाद संघ

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

सरकार द्वारा निषाद परिवारों के जीविका के साधन को समाप्त करने से बिहार के पुरे निषाद दुखित एवं आक्रोशित है।

Bihar News: Boat-Ghat operations in rivers should be reserved for Nishads

Patna: बिहार निषाद संघ के प्रदेश अध्यक्ष ई हरेंद्र प्रसाद निषाद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सदियों से नाव- घाट परिचालन निषादों का पैतृक रोजगार का साधन रहा है, हालाकि नदियों में जगह-जगह  पुलों के निर्माण से नाव-घाट परिचालन में काफी कमी आई है। अभी हाल ही में विधान सभा द्वारा बिहार नौकाघाट वन्दोवस्ती एवं प्रबंधन विधेयक 2023 की मंजूरी दी गई है जिसके अनुसार नाव-घाट परिचालन, प्रबंधन, वन्दोवस्ती एवं नियंत्रण का अधिकार पंचायतों और शहरी निकायों को दे दिया गया है। सरकार ने इस नये विधेयक को लागू कर निषादों के पैतृक रोजगार के साधन को पूर्णतः समाप्त  कर दिया है। इस नए कानून से वन्दोवस्ती में ज्यादातर दबंगों का कब्जा होने की सम्भावना होगी और निषाद उनकी मजदूरी करने के लिए वाद्य होगा।

सरकार द्वारा निषाद परिवारों के जीविका के साधन को समाप्त करने से बिहार के पुरे निषाद दुखित एवं आक्रोशित है। बिहार निषाद संघ मुख्य मंत्री से मांग करता है कि इस नौकाघाट वन्दोवस्ती एवं प्रबंधन विधेयक वापस लें या इसे निषादों के लिए आरक्षित कर दिया जाय।प्रधान महासचिव धीरेन्द्र कुमार निषाद, मनोजकुमार निषाद, संजय निषाद ने अपने संयुक्त  बयान में कहा कि अगर  सरकार संघ के इस मांगे के अनुसार शीघ्र निर्णय नहीं लेगी तो बिहार के सभी  निषाद आदोलन करने के लिए  वाद्य  होगें।

महासचिव उमेश कुमार मंडल और दिलीप कुमार निषाद ने भी कहा कि निषादों के घटते रोजगार एवं पूर्व  से लम्बित  मांगे जैसे परम्परागत मछुआ जाति का सूची जारी करना,निषाद गोताखोरों की नियमित नियुक्ती करना,शहरों एव प्रखंडो में फिश मार्केट बनाने में सरकार द्वारा कोई पहल न करना अत्यंत दुखदाई एव दुर्भाग्यपूर्ण है।