बिहार में संसाधनों के बावजूद राज्य सरकार मछुआरों को लाभ के लिए कोई काम नहीं कर रही है- बी.एल .वर्मा

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

उन्होंने कहा कि बिहार में मछुआरों को जनजागरण करने की आवश्यकता है।

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पटना: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य योजना का लाभ बिहार को नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार इस योजना को लागू करने में रूचि नहीं ले रही है। बिहार के बनिस्पत गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश में काफी अच्छा काम  हो रहा है जबकि बिहार में  संसाधन काफी मात्रा में मौजूद है। यह बात राष्ट्रीय मछुआरा दिवस पर कॉफ्फेड द्वारा बापू सभागार में आयोजित समारोह में केंद्रीय  राज्य सहकारी मंत्री बनवारी लाल वर्मा कही। उन्होंने मछुआरे भाईयों को बधाई हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोंच के कारण सहाकरिता मंत्रालय का तरक्की की राह पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करोना काल में भी किसी को भूखा सोने नहीं दिए। 

उन्होंने कहा कि बिहार में मछुआरों को जनजागरण करने की आवश्यकता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में अन्न के बाद खाद्य के लिए सबसे बड़ा साधन मछली है। यह मछली मछुआरों के मेहनत का नतीजा है कि भारत विश्व में तीसरा मछली उत्पादक देश है। आज विश्व 8 फीसदी मछली का उत्पादन भारत में होता है। मछुआरों की सुविधा और उनके आर्थिक उन्नय का ख्याल सरकारों को करना होगा। 
कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि केंद्र सरकार से मछुआरों के लिए काफी कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया लेकिन राज्य सरकार की रूचि नहीं लिए जाने कारण मत्स्य मंत्रालय का लाभ नहीं मिल रहा है। मत्स्य किसान क्रेडिट कार्ड का फायदा राज्य सरकार के गंभीर नहीं रहने के कारण मछुआरा भाईयों को नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि कॉफ्फेड दो करोड़ लोगों का संगठन है। यह कॉफ्पेड के प्रयास का ही फल है कि मत्स्य उतपादन को कृषि का दर्जा दिया गया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को कॉपरेटीव के माध्मय से लागू कराया जाय। इस काम कॉफ्फेड मिलकर काम करने को तैयार है। आजादी के बाद मछुआरों के लिए कुछ खास नहीं किया गाय। प्रधानमंत्री मोदी ने मछुआरों के लिए बजट में काफी प्रवधान किया गया है। बिहार के सहकारिता आंदोलन को राज्य सरकार दबा नहीं सकेगी।

कश्यप ने कहा कि जल जीवन हरियाली मिशन के काम को कॉपरेटीव के माध्यम से कराने की मांग की जा रही है पर सरकार ठीकेदारी पर भरोसा कर रही हैं। कॉफ्फेड लगातार मांग कर रही है कि वे मछुआरों का हक दिया जाए पर सरकार चुप है। अब समय आ गया है कि मछुआरों अपनी चट्टानी एकता को दिखाना होगा। मछुआरा आपस में संगठित रहे तबही मछुआरों का भला हो सकता है। 

मछुआरा दिवस पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ ठाकुर ने कहा कि मछुआरा जिस सम्मान का अधिकारी है वह नहीं मिला है। इसके लिए आपको मन से संगठित होना पड़ेगा। जलकर का अधिकार मछुआरों का है लेकिन उसका फायदा नहीं मिला। प्रत्येक साल केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के लिए तीन करोड़ रूपये भेजती है पर इसका फायदा गांवों के लोगों को नहीं मिलता है। आप सभी को अपनी शक्ति को पहचाना और समर्पित रूप से  इमानदार रहना होगा। 

कॉफ्फेड के अध्यक्ष प्रयाग सहनी ने कहा कि कॉफ्फेड मछुआरों की संस्था है आप किसी के बहकावें में नहीं आए। अपने अधिकारों के पर्ति जागरूक हो। कुछ तत्वों के द्वारा मछुआरों को कमजोर करने में लगे हुए हैं। आप सावधान रहे हैं। मछुआरा आवास और जलकर की व्यवस्था राज्य सरकार  ने समाप्त कर दिया। यह बहुत मछुआरों के साथ नाइंसाफी है। मछुआरों के नाम पर सरकारी खजाने की लूट हो रही है आप आंखों को बंद कर नहीं बैठे, नहीं तो आपके अधिकारों का हरण हो जाएगा।