वैचारिक रूप से दिवालिया हो चुके है जदयू के नेता, राजद के संगत का असर है: मनोज शर्मा

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपनी भाषा की मर्यादा को समझता है।

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पटना, (संवाददाता):  भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा कि  राजनीति की एक भाषा, एक शैली और एक संस्कार होता है लेकिन, जदयू के नेताओं को अब इससे कुछ लेना-देना नहीं रह गया है। जदयू के एक केयरटेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष संसद में वह अपनी भाषा की दरिद्रता का अक्सर प्रदर्शन करते रहते हैं। जब वह संसद बोलते हैं तो लगता है कि वह गली-मोहल्ले के छिछोरे हो। अपने अतार्किक, अव्यवहारिक भाषा की वजह से उन्हें कोई गम्भीरता से लेता है। यही नहीं, उनके पीछे बिहार के कुछ जदयू नेता है जो सियार की तरह हुंआ-हुंआ करना शुरू कर देते हैं। दरअसल, इनका कोई दोष नहीं है, यह अपने आका को खुश करने के चक्कर में इस तरह का आचार-व्यवहार करते है। इनके आका समझते हैं कि वह सबके आका है लेकिन, जैसे ही लालू यादव के सामने जाते हैं वहां वह चिराग के जिन्न बन जाते हैं और उनके आका जिस तरह से चाहते हैं उस तरह से उनसे काम कराते है। ये सबकुछ अपनी कुर्सी बचाने के लिए करते है।  

भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपनी भाषा की मर्यादा को समझता है। लेकिन, जदयू के नेता अपने गिरेबान में देख लें कि उनके कई राष्ट्रीय अध्यक्ष को इसलिए बेदखल कर दिया गया क्योंकि, उन्होंने वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चापलूसी नहीं किया करते थे और जो केयर टेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष और केयर टेकर प्रदेश अध्यक्ष बनकर बैठे हैं, वह दिन-रात नीतीश कुमार की  चमचई करते रहते हैं। वैचारिक रूप से दिवालिया हो चुके जदयू के नेता अब राजद के संस्कारों को आत्मसात कर चुके हैं और यही वजह है कि अब उनके जुबान पर, उनका अख्तियार नहीं रह गया है। भाषाई रूप से दरिद्र हो चुके जदयू के नेता अब उन लोगों का गुणगान कर रहे हैं जो भ्रष्टाचार, घोटाले, धोखाधड़ी के जनक है साथ ही ये उनका महिमामंडन करने में लगे है जो सजायाफ्ता और चार्जशीटेड है।  संगत से गुण होत हैं संगत से गुण जाए, बास-फास मिश्री सवे एके भाव  बिकाय।

जदयू के गुणी और ज्ञानी नेता बिल्कुल अपनी संगत के मुताबिक आचार, व्यवहार और भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। यह सब कुछ संगत का असर है। संगत का ही असर है कि अब जदयू के नेता भ्रष्टाचार, घोटाला, धोखेबाजी में फर्क नहीं समझ पा रहे हैं। जिनको पानी पी पी कर कभी घोटालेबाज तो, कभी कैदी नंबर 3351 तो, कभी घोटाले के गुरुजी तो, कभी राजनीति के घुन कहते थे अब, उन्हें महिमा मंडित कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड के गठबंधन के बाद लालू जी बिल्कुल पाक-साफ हो गए हैं! तभी तो जदयू के नेता अपने अलंकृत भाषा से लालू यादव की महिमामंडन कर रहे है। जबकि सच ये है कि लालू यादव को चारा घोटाले में जेल भेजवाने वाले यही है। अब जदयू के नेता ये बताएं कि कोर्ट में लालू यादव के खिलाफ क्यों गए थे? और, अभी लालू यादव राजनीतिक संत कैसे हो गए?

जदयू के कुछ नेता तो ऐसे है जो अपने आप को बुद्धिजीवी और ज्ञानी कहते हैं लेकिन, वो वैचारिक रूप से बैंक करप्ट हो चुके हैं। पिछले साल लालू जी के लिए ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहे थे जो हिंदी शब्दकोश में काफी मुश्किल से मिलता है। उक्त नेता ने तो अपने आवास पर लालू यादव जी के कारनामों की पूरी फोटो प्रदर्शनी लगाई थी।  जिसमें उन्होंने कई सवाल किए थे। अब वह नेता क्या बताएंगे कि उनके सवालों का जवाब मिल गया है? क्या लालू यादव जी पूरी तरह से पाक साफ होकर सजा मुक्त हो चुके हैं? अब लालू परिवार के ऊपर कोई चार्ज नहीं है? क्या तेजस्वी यादव चार्जशीटेड नहीं है? कहते हैं ना की संगत में संस्कार होता है। भाजपा के साथ थे तो, उसका संस्कार दिखता था। पहले उनको सुनकर अच्छा लगता था। बहुत तार्किक और ज्ञान की बात किया करते थे। राजद के साथ गए है तो अपना कुसंस्कार दिखा रहे हैं। अब अ-तार्किक और अ-ज्ञानता भरी बातें करते हैं!  कदली सीप भुजंग मुख स्वाति एक गुण तीन। जैसी संगति बैठिये तै सोई फल देत।