Patna News: कुशासन से सुशासन तक, नीतीश कुमार ने गढ़ी बिहार की नई पहचान: किशोर कुणाल

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

जिस दौर में अपहरण, आतंक और कुशासन ने राज्य की छवि धूमिल कर दी थी, उसी दौर में नीतीश कुमार ने निराशा को उम्मीद में बदलने का संकल्प लिया।

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Patna News In Hindi: पटना, जद (यू) मीडिया पैनलिस्ट किशोर कुणाल ने फेसबुक लाइव के माध्यम से संवाद करते हुए कहा कि बिहार की राजनीति और समाज में वर्ष 2005 एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में दर्ज है। 264 दिन के राष्ट्रपति शासन के बाद 24 नवंबर 2005 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली। सत्ता संभालते ही उन्होंने ऐसे साहसिक और दूरगामी फैसले लिए, जिनसे बिहार की तकदीर और तस्वीर बदल गई।

जिस दौर में अपहरण, आतंक और कुशासन ने राज्य की छवि धूमिल कर दी थी, उसी दौर में नीतीश कुमार ने निराशा को उम्मीद में बदलने का संकल्प लिया। सत्ता संभालते ही पहला कदम कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने का उठाया गया। पुलिस प्रशासन को मजबूत किया गया, आर्म्स एक्ट को कड़ा बनाया गया और थानों को स्वावलंबी किया गया। भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए एसएपी, एसवीयू और विशेष निगरानी न्यायालय जैसे संस्थानों का गठन किया गया। पहली बार भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति जब्त कर सरकारी उपयोग में लाई गई।

प्रवक्ता ने आगे कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की संपत्ति सार्वजनिक करने का ऐतिहासिक निर्णय लेकर मुख्यमंत्री ने पारदर्शिता और जवाबदेही की नींव रखी। जानकारी काॅल सेंटर की शुरुआत कर आम जनता की शिकायतें सीधे दर्ज करने और निवारण की व्यवस्था बनाई गई, जिसके लिए बिहार को केंद्र सरकार ने गुड गवर्नेंस अवार्ड से सम्मानित किया। वहीं, महिलाओं को 35ः आरक्षण देकर पुलिस और सरकारी नौकरियों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की गई।

कृषि क्षेत्र में किसान रोडमैप लागू कर उत्पादन बढ़ाने की ठोस नीति बनाई गई। महिला सशक्तिकरण के लिए जीविका समूह, साइकिल योजना और छात्रवृत्ति जैसी योजनाएं लागू की गईं। इन प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली और संयुक्त राष्ट्र ने अन्य राज्यों को भी ऐसे कार्यक्रम अपनाने की अनुशंसा की।

आरटीपीएस अधिनियम और लोक शिकायत निवारण कानून ने शासन को जनता के करीब लाया। कंप्यूटराइजेशन और आईटी की मदद से प्रशासन को आधुनिक बनाया गया। बिजली की उपलब्धता में क्रांतिकारी सुधार करते हुए राज्य की पावर डिमांड 13 गुना तक बढ़ाई गई।

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुईं। मेडिकल काॅलेज, इंजीनियरिंग संस्थान, आईआईटी, आईआईएम, एनएलयू और नालंदा विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं ने बिहार को नई पहचान दी। स्वास्थ्य बजट में अभूतपूर्व वृद्धि की गई और जेनरिक दवा योजना शुरू कर बिहार देश का पहला राज्य बना, जिसने गरीबों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराईं। सड़क और बुनियादी ढांचे में सुधार से आज बिहार के किसी भी जिले से चार घंटे में पटना पहुँचना संभव हुआ। बिहार दिवस का आयोजन कर राज्य की अस्मिता को नई पहचान दी गई और सात निश्चय योजना ने विकास का ठोस रोडमैप प्रस्तुत किया।

पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लिए आयोग और विभाग गठित कर उनकी समस्याओं के समाधान की ठोस व्यवस्था बनाई गई। दशरथ मांझी स्किल अकादमी और जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की स्थापना कर युवाओं के कौशल विकास पर बल दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लिए गए ये फैसले केवल तत्कालीन समस्याओं का समाधान नहीं थे, बल्कि उन्होंने बिहार के दीर्घकालिक विकास की राह भी प्रशस्त की। आज बिहार आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल होने की राह पर है।

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