CAA के खिलाफ भाकपा-माले ने निकाला मार्च, कहा, अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भाजपा ने चली है यह विभाजनकारी चाल
जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल ने कहा कि 2019 में सीएए के पास हो जाने के बाद देश में ऐतिहासिक जनांदोलन हुआ था।
CPI-ML took out a march against CAA News In Hindi: लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले असंवैधानिक, भेदभावकारी और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की अधिसूचना को एक गहरी राजनीतिक साजिश करार देते हुए भाकपा-माले ने राष्ट्रव्यापी आह्वान पर गुरुवार को प्रतिवाद मार्च निकाला। सीएए वापस लो, नागरिकों को धर्म के आधार पर बांटने की साजिश नहीं चलेगी, संविधान पर हमला नहीं सहेंगे आदि नारों को बुलंद करते हुए स्थानीय श्रम कार्यालय के पास से राधारानी सिन्हा रोड पर मार्च निकाल कर कार्यकर्ता घंटाघर चौक पहुंचे और केंद्र की जनविरोधी फासीवादी मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
नेतृत्व भाकपा-माले के राज्य कमिटी सदस्य एसके शर्मा, जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल और नगर प्रभारी व ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने की।कार्यक्रम में ऐक्टू कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
भाकपा-माले के राज्य सचिव एसके शर्मा ने मौके पर कहा कि जब देश ने फासिस्ट मोदी सरकार से छुटकारा पाने का मन बना लिया है, ठीक ऐसे समय में सीएए लागू करने का मतलब है कि भाजपा सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए नफरत व विभाजन का माहौल बना रही है। जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरेल बाॅन्ड पर एसबीआई को जवाब देना था, ठीक उसी दिन सीएए को अधिसूचित किया गया। अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भाजपा ने यह विभाजनकारी चाल चली है। सुप्रीम कोर्ट में सीएए को लेकर 200 से अधिक याचिकाएं लंबित है। उम्मीद है कि इलेक्टोरेल बाॅन्ड की तरह सुप्रीम कोर्ट भी सीएए को संविधान विरोधी करार दे। मतलब साफ है कि भाजपा इसके जरिए केवल और केवल विभाजन व नफरत को बढ़ावा दे रही है।
जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल ने कहा कि 2019 में सीएए के पास हो जाने के बाद देश में ऐतिहासिक जनांदोलन हुआ था। शाहीनबाग का आंदोलन आज भी याद है। देखते ही देखते देश के हर हिस्से में शाहीनबाग बनने लगे। कोविड के चलते उसमें रूकावट आई। उस आंदोलन को कुचलने के लिए साजिश करके भाजपा ने दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा कराई और आंदोलन के नेताओं-कार्यकर्ताओं को फर्जी मुकदमे के तहत जेल में डाल दिया। कई आज तक जेल में ही हैं। उन्होंने कहा कि इस भेदभावपूर्ण व विभाजनकारी सीएए के विरुद्ध समान नागरिकता आंदोलन में हम सबको अपनी एकजुटता प्रकट करनी है ताकि जनता को बांटने व आगामी चुनावों में फासिस्ट ताकतों को शिकस्त देने के मिशन से जनता का ध्यान हटाने की मोदी सरकार और भाजपा की साजिश नाकामयाब की जा सके।
पार्टी नगर प्रभारी व ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने कहा कि सीएए का विरोध इसलिए है कि हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 14 में नागरिकों या गैर नागरिकों यानी तमाम लोगों के प्रति समान नागरिकता का वादा है। सीएए ने इसे खत्म कर दिया है। यह ऐसा कानून है जो 31 दिसंबर 2014 के पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए किसी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन या पारसी उत्पीड़ित को तो नागरिकता प्रदान करता है लेकिन मुसलमानों को इससे अलग कर दिया गया। श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल जैसे देशों से आए उत्पीड़ितों का भी जिक्र नही हैं। श्रीलंका के तमिल हिन्दुओं व मुसलमानों या म्यांमार के रोहिंग्या मुसमलानों को इससे वंचित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद एनआरसी व एनपीआर की तैयारी है। एनपीआर में कागज न दिखलाने वालों की नागरिकता खत्म कर दी जाएगी। असम में एनआरसी की कवायद ने दिखलाया कि यह ने केवल मुस्लिम बल्कि आदिवासयों और वनवासियों सहित सभी समुदाय के गरीबों के खिलाफ है।
कार्यक्रम में भाकपा-माले जिला कमिटी सदस्य सिकंदर तांती, नगर कमिटी सदस्य राजेश कुमार दास, चंचल पंडित, शंकर तांती, उपेंद्र यादव, शैलेंद्र कुमार सिंह, जयंत मंडल, ऐक्टू के गोरख प्रसाद शर्मा, सुनीत झा, वीणा देवी, वकील साह, रानी देवी, शीला देवी, मीना देवी, मनीषा देवी, उषा देवी, रुना देवी, अमिताभ कुमार, दिलीप दास, रीना देवी, प्रियंका देवी आदि शामिल हुए।
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