Land for Job Scam Case: दिल्ली की अदालत ने कथित ज़मीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू, तेजस्वी और अन्य को किया तलब
कथित घोटाला उस समय का है जब राजद प्रमुख संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे।
Land for Job Scam Case: दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और 14 अन्य को कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले मामले में सम्मन जारी किया है। मामले से परिचित अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने तीन जुलाई को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर नए आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को सम्मन जारी कर चार अक्टूबर को पेश होने को कहा है।
सीबीआई ने 3 जुलाई को कथित भूमि-के-लिए-नौकरी घोटाले में राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और 14 अन्य के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था।
एजेंसी ने उसी दिन अदालत को सूचित किया था कि लालू और तीन रेलवे अधिकारियों - महीप कपूर, मनोज पांडे और पीएल बांकर पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की आवश्यकता होगी।गुरुवार को सीबीआई ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें इस सप्ताह के प्रारंभ में कपूर, पांडे और बांकर पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है।
एजेंसी ने इससे पहले अदालत को बताया था कि लालू पर मुकदमा चलाने की मंजूरी इस महीने की शुरूआत में गृह मंत्रालय से भी मिल गयी थी।
हालांकि, तेजस्वी पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि आरोप पत्र में उनका नाम आरोपी के रूप में दर्ज है, क्योंकि 2004-2009 के दौरान वह लोक सेवक नहीं थे।
दिल्ली की अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को तय की है, जब सभी आरोपियों को जारी समन के तहत अदालत के समक्ष उपस्थित होना है।
कथित घोटाला उस समय का है जब राजद प्रमुख संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 2004 से 2009 के बीच भारतीय रेलवे के विभिन्न जोनों में ग्रुप डी के पदों पर कई लोगों की नियुक्ति की गई, जिन्होंने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री के परिवार के सदस्यों के नाम कर दी।
यादव परिवार ने आरोपों से इनकार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
अदालत उस मामले की सुनवाई कर रही है जिसमें सीबीआई ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने 2004-2009 के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न जोनों में ग्रुप डी के पदों पर विभिन्न व्यक्तियों की नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था, जबकि ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी।
सीबीआई के अनुसार, नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि बदले में उम्मीदवारों ने सीधे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से प्रसाद के परिवार के सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर जमीन बेची, जो कि प्रचलित बाजार दरों के एक-चौथाई से लेकर पांचवें हिस्से तक थी।
एजेंसी ने 18 मई 2022 को एक मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नौकरियों के बदले में संपत्ति एक निजी कंपनी के नाम पर खरीदी गई थी और बाद में इसे बाजार मूल्य से बहुत कम मूल्य पर शेयरों के हस्तांतरण के माध्यम से परिवार के सदस्यों के स्वामित्व में लाया गया था।
सीबीआई द्वारा प्रस्तुत किया गया है कि 3 जुलाई को दायर आरोपपत्र में कथित मामला भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में की गई नियुक्तियों के संबंध में था, जबकि 7 अक्टूबर 2022 को दायर पूर्व आरोपपत्र मध्य क्षेत्र में की गई नियुक्तियों से संबंधित था।
अदालत ने 27 फरवरी को दायर पहली चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को समन जारी किया। बाद में 15 मार्च को पारित आदेश में सभी आरोपियों को जमानत दे दी गई, जबकि इस बात पर गौर किया गया कि सीबीआई ने बिना किसी गिरफ्तारी के चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
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