डी बंदोपध्याय के अनुसशाओं को बिहार सरकार करे लागू : बीजू कृष्णन
20 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारी रैली का आयोजन किया।
Patna: बिहार राज्य किसान सभा की बैठक जमाल रोड पटना में राजेंद्र प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में हुई । बैठक को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव बीजू कृष्णन ने बताया कि आज केंद्र में बैठी मोदी सरकार घोर किसान विरोधी सरकार है। यह देश की सभी सार्वजनिक संपत्तियों को बेचकर अब किसानों की जमीन को कारपोरेट के हवाले करना चाहती है ।यही कारण है कि पिछले दिनों इसने किसान विरोधी 3 काले कानून लाए थे। जिसका देश के किसानों ने जबरदस्त विरोध किया।
500 से ज्यादा किसान संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 13 महीने तक ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी । इस लड़ाई में दिल्ली बॉर्डर के साथ-साथ देश के कोने कोने में किसान जुड़ चुके थे। इसे लड़ाई से भयभीत होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीविजन के माध्यम से यह घोषणा किया कि किसान विरोधी तीनों काले कानूनों को वापस कर लेंग। स्वामीनाथन कमीशन के अनुसशाओं को लागू करेंगे ।एमएसपी को कानूनी दर्जा देने सहित सभी किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए एक कमिटी बनाएंगे। किसानों की सहमति से इन सभी मांगों को पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नतीजा यह हुआ कि अपने स्थगित किए गए आंदोलन को किसान फिर से शुरू कर दी। किसानों ने पूरे देश में 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला। 20 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारी रैली का आयोजन किया।
दूसरी तरफ संयुक्त मोर्चा के संघर्षों को बल पहुंचाने वाला अखिल भारतीय किसान सभा अपने स्वतंत्र संघर्षों को भी करता रहा। किसानों के प्याज , कपास आदि फसलों के सही दाम नहीं मिलने के विरुद्ध नासिक से मुंबई तक अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में किसानों ने लोंग मार्च शुरू किया । किसानों का लोंग मार्च जब मुंबई पहुंचा तो भाजपा शिंदे की सरकार बेचैन हो गई । रातो रात किसान प्रतिनिधियों से मिलने के लिए इसके मंत्रीगण लोंग मार्च के नेता तथा अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक ढवले से संपर्क साधते रहे।
15 सदस्यीय किसानों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री शिंदे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित एक दर्जन मंत्रियों के साथ समझौता वार्ता शुरू हुआ और किसानों को 350 रुपए प्याज और कपास पर प्रति क्विंटल महाराष्ट्र सरकार द्वारा अनुदान देने की घोषणा पर भी किसान प्रतिनिधियों ने नहीं माना । क्योंकि पिछले नासिक से महाराष्ट्र तक का लोंग मार्च जो 50 हजार किसानों का मार्च था । महाराष्ट्र सरकार ने सारी मांगे मान ली । लेकिन लागू नहीं की थी । इसलिए किसान सभा के प्रतिनिधियों ने कहा कि जब तक इसे विधान सभा से पारित नहीं किया जाता और लिखित रूप में सरकार द्वारा अनुदान की प्रति किसानों को नहीं दिया जाता । तब तक किसान मुंबई से नहीं जाएंगे । दूसरे दिन विधानसभा में अपने प्रस्ताव को पारित कर 350 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को अनुदान की कॉपी दी गई और बाकी मांगों को भी पूरा करने की घोषणा के बाद किसान अपने घर की ओर लौटे।
आज किसान सभा के ऊपर संघर्ष की भारी जवाबदेही आ पड़ी है । आज मोदी सरकार हमारी एकजुट ताकत को सांप्रदायिक उन्माद फैला कर तोड़ना चाहती है । वह धर्म के आधार पर अपराध को देख रही है । उसे भाजपा में शामिल अपराधियों के सरगना रघुराज सिंह(राजा भैया) या बृजभूषण शरण सिंह नजर नहीं आते। लेकिन अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी बड़े अपराधी नजर आते हैं ।इस खतरनाक चाल को समझना होगा।
अभी 5 अप्रैल को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान तथा मजदूरों के महत्वपूर्ण मांगों के लिए एक महत्ती मजदूर किसान रैली दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई । जो पूरे दिल्ली को लाले लाल कर दिया था । इस ऐतिहासिक किसान रैली ने दिनभर तपती धूप में बैठ कर बता दिया कि आने वाले संघर्ष के लिए हम तैयार हैं । गन्ना किसानों ने 6 अप्रैल को जंतर मंतर पर धरना दिया और गन्ना किसानों की समस्याओं को प्रधानमंत्री से अविलंब पूरा करने को कहा , अन्यथा गन्ना किसान एक बड़ी लड़ाई की ओर आगे बढ़ेंगे । उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक 5 अप्रैल मजदूर किसान रैली में भाग लेने वाले बिहार बिहार राज्य किसान सभा के किसानों का क्रांतिकारी अभिनंदन करते हैं और आने वाले दिनों में होने वाले संघर्षों में और मजबूती के साथ जुड़ने के लिए बिहार राज्य किसान सभा के संगठन को और मजबूत बनाना है । हर गांव में किसान सभा तथा किसान सभा में हर किसान को ले जाना है .
बैठक में बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव विनोद कुमार ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। जिस पर बिहार के सभी जिलों से आए किसान सभा के साथियों में अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। साथ हीं आंदोलन को तेज करने का आह्वान किए। यह इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव अवधेश कुमार , बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष ललन चौधरी , प्रभुराज नारायण राव , राज मंगल प्रसाद , अजय कुमार , रामजतन सिंह , अरुण कुमार , मनोज कुमार यादव , कोषाध्यक्ष सोनेलाल प्रसाद , मिथिलेश कुमार सिंह , चांदसी प्रसाद यादव , मनोज सुनील , सत्तार अंसारी , हरेंद्र प्रसाद , अर्जुन यादव , मदन प्रसाद , उपेंद्र प्रसाद , मदन राय , शिवकेश्वर राय , बच्चा राय , शिवशंकर यादव आदि ने अपने महत्वपूर्ण विचार दिए ।