गरीबी में कमी लाने में सभी राज्यों में शीर्ष पर है बिहार: मंत्री
राज्य में करीब 2.25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आ गये हैं जो देश में (गरीबी में) ‘सबसे तेज गिरावट’ है।
पटना: बिहार गरीबी में कमी लाने वाले राज्यों में शीर्ष पर है और राज्य में गरीबों की संख्या 2015-16 के कुल जनसंख्या के 51.89 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में कुल जनसंख्या का 33.76 प्रतिशत हो गयी है। एक मंत्री ने यह बात कही।
नीति आयोग द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में जारी किए गये ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023’ का हवाला देते हुए बिहार के योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राज्य में करीब 2.25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आ गये हैं जो देश में (गरीबी में) ‘सबसे तेज गिरावट’ है।
बहुआयामी गरीबी मापक गरीबी की जटिलता को मापने का एक साधन है जिसमें मौद्रिक दरिद्रता के अलावा कल्याण के विभिन्न आयामों पर भी विचार किया जाता है।
यादव ने यहां शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा , ‘‘नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2015-16 और 2019-21 में करीब 13.51 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आये तथा बिहार में गरीबी में सबसे तेज गिरावट (18.13 प्रतिशत) रही। मध्यप्रदेश में यह 15.94 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 14.75 प्रतिशत, ओडिशा में 13.66 प्रतिशत और राजस्थान में 13.55 प्रतिशत रही। ’’
उन्होंने कहा कि यह बिहार के लोगों के लिए ‘गर्व की बात’ है कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार राज्य में गरीबी कम करने में ‘सफल’ रही है। यादव ने कहा, ‘‘रिपोर्ट के अनुसार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 56 प्रतिशत से घटकर 36.95 प्रतिशत पर आ गया है। गरीबी में गिरावट का राष्ट्रीय औसत 13.31 प्रतिशत है।’’
इस रिपोर्ट में 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों तथा 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान किया गया है।