Bihar Assembly Elections 2025: तेजस्वी के वादों पर सुधांशु त्रिवेदी का हमला, बोले- बिहार को बुद्धु मत बनाओ
जब बिहार का बजट ही तीन लाख 17 हजार करोड़ रुपये है तब नौकरी देने के वादे के मुताबिक 29 लाख करोड़ रुपये कहां से लाएंगे: सुधांशु त्रिवेदी
Bihar Elections 2025: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्य सभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज बुधवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया और महागठबंधन में आपसी घमासान को लेकर महागठबंधन और तेजस्वी यादव की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्वतंत्र चुनाव लड़ने की उद्घोषणा के बाद महागठबंधन को झारखंड से खंड-खंड करने का संदेश स्पष्ट रूप से जा चुका है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि बिहार में चुनावी प्रक्रिया गतिमान है और महागठबंधन में आपस में छिड़ा घमासान है, यह घमासान इस सीमा तक है कि जो लोग मतदाता सूची सही नहीं बना पाने का स्वांग रचकर भ्रम पैदा कर रहे थे, वे न अपने गठबंधन दलों की सूची फाइनल कर पाए हैं और न अपने प्रत्याशियों की सूची फाइनल कर पाए हैं। न साझा घोषणा पत्र तैयार कर पाए हैं, न साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पाए हैं और न साझा मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री का निर्धारण कर पाए हैं।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इससे पूर्व तेजस्वी यादव ने यह दावा किया था कि हर परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी। बिहार की वर्तमान आबादी अनुमान के अनुसार 13.5 करोड़ है यानी 4.2% लोग प्रति परिवार एवरेज होते हैं। यदि इसे डिवाइड किया जाए, तो लगभग 3 करोड़ परिवार बनते हैं। 23 लाख लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं, उन्हें हटा दिया जाए तब भी लगभग 2 करोड़ 90 लाख परिवार शेष रहते हैं।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि एनडीए और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में महिलाओं के सशक्तिकरण और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि जहां तक महिलाओं के विषय में राजद के नेताओं द्वारा किए जा रहे वक्तव्यों का प्रश्न है, यह स्मरणीय है कि यदि राजद का कोई व्यक्ति महिलाओं के हितों पर बोलता है, तो यह स्वयं में विडंबनापूर्ण है, क्योंकि श्री लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में महिलाओं की आजीविका तो दूर, उनके प्राण और सम्मान पर जितने गंभीर संकट मंडराते थे, उसे आज भी बिहार की जनता भूली नहीं है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पार्टी का शासन लगभग 50 वर्षों तक इस देश में रहा और उसमें लगभग 40 से 45 वर्ष उनके परिवार का शासन रहा। तेजस्वी यादव के माई और बाप का शासन बिहार ने देखा। जब उस कालखंड में वे कोई कार्य नहीं कर सके, तो आज यदि वे यह काम दिखाने का प्रयास करते हैं, तो यह कहावत पूर्णतः लागू होती है कि ‘बाप न मारे मेंढकी, बिटवा तीरंदाज’ यानी जब स्वयं अपने शासनकाल में कुछ कर नहीं पाए, फिर अब ऐसे वादे करना मात्र दिखावा है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि तेजस्वी यादव को बिहार की जनता के साथ यह राजनीतिक उपहास करना बंद करना चाहिए, क्योंकि उनका गठबंधन और सियासत स्वयं एक मजाक बन चुका है।बिहार एक प्रबुद्ध और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत जागरूक लोगों का प्रदेश है।तेजस्वीयादवजी, ‘बुद्ध’कीधरतीको ‘बुद्धू’समझनेकीगलतीनकीजिए। कोई भी विवेकी व्यक्ति सहज रूप से समझ सकता है कि यह केवल मजाक नहीं, बल्कि क्रूर मजाक है, क्योंकि जो भावना न मन में है, न कर्म में, उसे वचन में देकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास छल के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। बिहार की जागरूक जनता ऐसे सभी लोगों के भ्रम को उसी प्रकार चकनाचूर कर देगी, जैसे आज महागठबंधन की हसरतें बिखरती हुई स्पष्ट दिखाई दे रही हैं।
तेजस्वी यादव, इंडी गठबंधन और महागठबंधन के नेता बिहार की प्रबुद्ध जनता और भगवान बुद्ध की इस पावन धरती को ‘बुद्धू’ बनाने अथवा ‘बुद्धू’ समझने का प्रयास न करें। जो कुछ आज इस गठबंधन के भीतर घटित हो रहा है, उसके संदर्भ में एक पंक्ति अत्यंत उपयुक्त प्रतीत होती है कि ‘इस गठबंधन का तो कोई सिला ही नहीं, कौन किससे मिला है यह पता ही नहीं, और लाख चेहरे बदल के आ जाते हैं ये, पर आईना कम, वक्त झूठ बोलता ही नहीं।’
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