आगामी लोकसभा चुनाव में ही क्यों नहीं लागू किया जा सकता महिला आरक्षण : मंजीत साहू

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

जब यह सबको पता है कि आधी आबादी महिलाओं की है तो इसी चुनाव से तेतीस प्रतिशत महिला आरक्षण कानून बनकर लागू क्यों नहीं हो सकता ? 

Why women's reservation cannot be implemented in the upcoming Lok Sabha elections itself: Manjeet Sahu

पटना: बिहार युवा कांग्रेस पूर्व उपाध्यक्ष मंजीत आनन्द साहू ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाया गया महिला आरक्षण विधेयक को मोदी सरकार द्वारा महिलाओं के लिए एक झांसा बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लगातर दूसरे टर्म के अंतिम दसवें साल में ही यह विधेयक इसलिए लेकर आई है क्योंकि ये न तो महिलाओं को हिस्सेदारी देना चाहती है और ना ही पिछड़ों - अतिपिछड़ों को उसका वाजिब हक । साहू ने कहा की इसके पूर्व यह विधेयक इसलिए पारित नहीं हो सका था क्योंकि कोटा के भीतर पिछड़ों - अतिपिछडों को कोटा का प्रावधान नहीं किया गया था। जब यह सबको पता है कि आधी आबादी महिलाओं की है तो इसी चुनाव से तेतीस प्रतिशत महिला आरक्षण कानून बनकर लागू क्यों नहीं हो सकता ? 

छाती पीट-पीटकर संसद के भीतर से लेकर चुनावी रैलियों के मंचों तक से खुद को कभी पिछड़ा तो कभी अतिपिछड़ा बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद से पारित महिला आरक्षण विधेयक में पिछड़े वर्ग एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण न देकर एक बार पुनः साबित किया है कि उन्हें पिछड़े या अतिपिछड़े वर्ग के लोगों से कोई लेना देना नहीं है। जिस प्रकार महिलाओं की आबादी देश मे करीब पचास फीसदी है उसी प्रकार पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की आबादी करीब साठ फीसदी है।

साठ फीसदी आबादी वाले वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं होना केंद्र सरकार के अलोकतांत्रिक प्रवृति की निशानदेही है। साहू ने कहा की कांग्रेस नेता राहुल गाँधी जिस तरह से पिछड़े अतिपिछड़े वर्ग के लिए प्रतिनिधित्व का सवाल उठा रहे हैं वह बेहद प्रशंसनीय हैं। जब तक समाज का सभी वर्ग उपर नहीं उठता तो हम विकसित देशों की श्रेणी में कैसे शामिल हो सकते हैं। देश का वंचित वर्ग राहुल गाँधी जी की ओर आशा भारी नजरों से देख रहा है। भारत सरकार के मंत्रालयों के नब्बे सचिवों में से केवल तीन पिछड़े वर्ग से हैं । यह तथ्य राहुल गाँधी ने संसद के पटल पर रखा जिसका कोई जवाब मोदी सरकार के पास नहीं है। मोदी सरकार ने दो हजार एकीस में होने वाली जनगणना को इसलिए टालने का काम किया है क्योंकि सरकार जाति जनगणना नहीं कराना चाहती। आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा आर.एस.एस और सरकार को सबकुछ का जवाब जनता मांगेगी।