गौरवशाली कार्य को अब विरोधी नहीं पचा पा रहे : नित्यानंद राय
विरोधियों के इस अपमानजनक रवैये को लोग भलिभांति समझ चुके हैं।
पटना, (राकेश कुमार ) : आजादी के अमृत महोत्सव के ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय संसद के नए भवन को 28 मई 2023 को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। वहीं इस स्वर्णिम व गौरवपूर्ण कार्य को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि आज माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश अपने लोकतंत्र के ऐतिहासिक पड़ाव को हासिल कर रहा है। देश को नया, युगानुकूल और ऐतिहासिक संसद भवन देश को मिलने जा रहा है। जिससे देश के सभी लोगों को इसपर गर्व हो रहा है। इस बार एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। देश का हर तबका प्रधानमंत्री मोदी की इस कार्य की सराहना कर रहा है।
वहीं विपक्षियों के विरोध को लेकर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दल इसका भी विरोध कर रहे। भाजपा का विरोध करते-करते ये देश के विरोध पर उतर आये हैं। जब पूरी दुनिया में भारत की साख के चर्चे हैं, तब इस गौरवशाली अवसर का विरोध विपक्षी दलों की ओछी राजनीति और कुंठा से ज्यादा कुछ नहीं है। विपक्ष अपना चेहरा बचाने लिए बहिष्कार का नाटक कर रहा है। नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है। जो दल आज देश की संसद भवन का विरोध कर रहे उन्हें देश की जनता देख रही है। वहीं केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस ऐतिहासिक संसद भवन का नहीं पूरे देश का अपमान कर रहे है। जिसे पूरी जनता देख रही है। बिहार के सीएम व उपमुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी अच्छे कार्यों में खामियां नजर आ रही है। पीएम के हर कार्य का विरोध करना इनकी आदत बन गई है। जिसे जनता भी अब बेहतर तरीके से समझ रही है। बिहार के विपक्ष के नेता अब ओछि राजनीति कर रहे है। लोग भी समझ चुके है कि जो देश का सम्मान नहीं कर सकते वो देश की जनता का क्या सम्मान करेंगे।
वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आवश्यकता के अनुरूप नए संसद भवन की कांग्रेस के शासन में कमी महसूस होती रही, लेकिन कांग्रेस इसे नहीं कर पाई। प्रधानमंत्री मोदी जी ने कर दिखाया है। इस गौरवशाली कार्य को अब विरोधी नहीं पचा पा रहे। विरोध में अंधे विपक्षी दल विरोध और देश के विरोध का फर्क भूल गए हैं। यह देश का अपमान है, लोकतंत्र का अपमान है, जनादेश देने वाली जनता व लोकतंत्र के मंदिर का अपमान है। विरोधियों के इस अपमानजनक रवैये को लोग भलिभांति समझ चुके हैं।