Patna News: मछुआ विरोधी नीति के खिलाफ मछुआरों ने किया धरना-प्रदर्शन: प्रयाग सहनी

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, बिहार

COFFED के बैनर तले पटना के गर्दनीबाग में जुटे हज़ारों मछुआरे

Fishermen staged a sit-in protest against the anti-fisherman policy Prayag Sahni news in hindi

Patna News In Hindi: पटना, कॉफ्फेड के अध्यक्ष प्रयाग सहनी एवं प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप के नेतृत्व में गर्दनी बाग में धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए नेताद्वय ने बताया कि आजादी के 76 वर्षो के बाद भी राज्य के मछुआ सहकारी समितियों के सुदृढीकरण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। राज्य के मत्स्य निदेशालय एवं सहकारिता विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का शिकार राज्य के मछुआरें हो रहें हैं।

दोनों विभाग के अधिकारी बेलगाम होकर लूट-खसोट में लगे हुए है। अभी हाल ही में चार-चार जिला मत्स्य पदाधिकारी भ्रष्टाचार/घूसखोरी में निगरानी के हथ्थे चढे चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त हैै। राज्य, प्रमंडल एवं जिला स्तर पर पूर्व से कार्यरत मछुआ संघों का निर्वाचन सहकारिता विभाग द्वारा नहीं कराया जा रहा है उनके स्थान पर नए संघों का गठन किया जा रहा है, जिनका उद्देश्य परंपरागत मछुआ सहकारी संघों को निष्क्रिय करना एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त करना है। नवगठित संघों में अध्यक्ष के रूप में प्रशासनिक अधिकारियों, विशेषकर आईएएस अधिकारियों को नियुक्त करने की तैयारी की जा रही है और मछुआ समाज को नेतृत्व से वंचित करने की साजिश हो रही है।

नेताद्वय ने आगे बताया कि, जलाशय मात्स्यिकी नीति 2022 को लागू कर तालाबों की खुली डाक से बंदोबस्ती की जा रही है जिसे वापस लेते हुए परंपरागत मछुआरों के साथ बंदोबस्त किया जाए, सरकारी तालाबों में पम्पिंग सेट, बीज, चारा एवं नाव इत्यादि हेतु पहले से जो इनपुट योजनाएं उपलब्ध थीं, उन्हें बिना वैकल्पिक व्यवस्था से लक्ष्य को कम कर दिया गया, जिससे मछली की उत्पादन क्षमता एवं मछुआरों की जीविका दोनों प्रभावित हुई है। 

बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ में बिहार सरकार की ओर के निदेशक बोर्ड में सदस्य नामित करने, निषाद बंधु बीमा योजना लागू करने हेतु 39 करोड़ रूपये का भुगतान बीमा कम्पनी को करने एवं मछुआरा/नाविकों को नीनी में प्रशिक्षण हेतु राशि मुहैय्या कराने हेतु पिछडा वर्ग एवं अत्यंत पिछडा वर्ग कल्याण विभाग, बिहार सरकार के माननीय मंत्री, श्री हरि सहनी के द्वारा संचिका में दिए गए आदेश के बावजूद उनके विभाग के अधिकारियों के द्वारा आदेश निर्गत नहीं किया गया। जो दर्शाता है कि राज्य में अफसरशाही हावी है एवं मंत्रियों का कोई वजूद नहीं है।

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना/मत्स्य किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ जमीनी स्तर पर कार्यरत परंपरागत मछुआ सहकारी समितियों एवं परंपरागत मछुआ परिवारों तक भ्रष्टाचार में लिप्त मत्स्य निदेशालय के द्वारा पहुँचने नहीं दिया जा रहा है। मत्स्य निदेशालय के द्वारा मछली निर्यात का दावा किया जाता हैै, परन्तु हकीकत यह है कि आज भी लगभग 2 लाख मैट्रिक टन मछली का आयात आंध्रप्रदेश से किया जाता है जिसमें प्रतिवर्ष 4 हजार करोड़ रूपये की राशि बिहार को खर्च करनी पडती है। बिहार में लगभग 8 लाख हैक्टेेयर में वेटलेंड/जलक्षेत्र है।

सरकार अगर इन जलक्षेत्रों का समुचित उपयोग मछुआ सहकारी समिति एवं संघ के माध्यम से करे तो अकेले नीली क्रांति के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से 20 लाख एवं अप्रत्यक्ष रूप से 20 लाख कुल 40 लाख लागों को रोजगार दिया जा सकता है। यह राज्य का सबसे बड़ा उद्योग है जिसपर अधिकारी कुण्डली मारकर बैठे हुए हैं। सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा 10 हज़ार करोड़ की योजना की अनुमति के बावजूद राज्य सरकार के अधिकारी इसे ठड़े बस्ते में डाल रखा है। नतीजतन आज भी मछुआरे रोजगार की तलास में पलायन के लिए मजबूर हैं। सरकार को कोरोना काल याद रखना चाहिए जिस समय ट्रेन भर-भर कर हमारे बिहार भाई बिहार वापस लौटे थे।

इस अवसर पर संघ के निदेशकगण् प्रदीप कुमार सहनी, कपिलदेव सहनी, लालो सहनी, निरंजन कुमार सिंह, शिव नंदन प्रसाद, इन्दर मुखिया, नरेश प्रसाद सहनी, अशोक कुमार चौधरी, अरूण सहनी, पद्माजा प्रियदर्शनी, कुमार शुभम, सानीध्या राज, अभिलाश कुमार, शिवानी देवी, मिनाक्षी कुमारी, राकेश कुमार, लाल बाबू सहनी नरेश कुमार सहनी, लाल बाबू सिंह, प्रो० जय नंदन सहनी एवं विशाल कुमार, मदन कुमार, मुन्ना चौधरी एवं सुनिल कमार एवं दिनेश सहनी, पूर्व उपाध्यक्ष उपस्थित थे।

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