2022 बीत गया, लेकिन कई पीड़ा दे गया: कांग्रेस
एक तो कोरोना ने 2020- 2021 में लोगों को आर्थिक रूप से तोड़ दिया था, दूसरी ओर 2022 में जनता मंहगाई, बेरोजगारी और सामाजिक विभेद का मार झेलती रही।
पटना, (संवाददाता): बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी, के प्रवक्ता सह चेयरमैन रिसर्च विभाग एवं मेनिफेस्टो कमेटी आनन्द माधव ने एक बयान जारी कर कहा कि कहा जाता है कि गुजरे हुए के बारे में बुरा नहीं कहना चाहिए। लेकिन नव वर्ष कि शुभकामनाओं के साथ ये भी आवश्यक है कि बीते वर्ष का आकलन कर लिया जाये। बीता वर्ष भारत की जनता के लिए एक धोखा एवं घाटे का वर्ष रहा। एक तो कोरोना ने 2020- 2021 में लोगों को आर्थिक रूप से तोड़ दिया था, दूसरी ओर 2022 में जनता मंहगाई, बेरोजगारी और सामाजिक विभेद का मार झेलती रही। गैस सिलिंडर 200 रुपया मंहगा हुआ, दूध कि कीमत पूरे साल में लगभग 10 रूपये बढ़ गई, अरहर की दाल 10 रूपये महंगा हुआ,खाने का तेल 15से लेकर 20 रूपये तक बढ़ गया, आटे कि कीमत 25 रूपये तक बढ़ गए। पेट्रोल एवं डीजल के कीमतों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई। केन्द्र सरकार मात्र जुमलों की पोटली खोल आश्वासन देती रही।
न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर वरण अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी हमरी किरकिरी हुई है। कई मुद्दों पर हम अगर भारत की ग्लोबल रैंकिंग देखें तो यह स्पष्ट पता चलता है कि अन्य देशो कि तुलना में हम बहुत पीछे है। हंगर इंडेक्स की बात करें तो हमारा स्थान 121 देशों में 107वां है। हम बेटी पढाओ बेटी बचाओ के नारे बहुत लगाते हैं, विज्ञपन पर भी करोड़ों खर्च करते हैं। लेकिन भारत का स्थान जेंडर गैप में 146 देशो में 135वां है। खुशहाल देशों की श्रेणी में हम 146 देशों में 139वें स्थान पर आतें हैं।
पर्यावरण पर लंबे चौडे भाषण तो बहुत सुनने को मिलता है लेकिन हम 2022 में 180 देशों में 180वां हमारा है। एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन इंडेक्स यह बतलाता है कि वियतनाम, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश जैसे देश हमसे ऊपर है। वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के अनुसार 2022 में वर्ल्ड ट्रेवल एवं टूरिज्म विकास में हम 54वें स्थान पर हैं। यू एन डी पी कि रिपोर्ट कहती है कि मानव विकास मानकों में भारत 191 देशों में 131वें स्थान पर हैं। यहां तक कि प्रेस कि स्वतार्न्त्रता में 150 देशों में हम 142वें स्थान पर हैं।
नवाचार में भी हम बहुत पीछे हैं, 66 देशों में हमारा स्थान 40वां है। उर्जा संक्रमण सूचकांक में हम 115 देशों के बीच 87वें पायदान पर खडे हैं। डोकलाम के बाद तवांग में चीन हमारी सीमा का अतिक्रमण कर रहा है। हम चुप है। पाकिस्तान का विदेश मंत्री अनर्गल प्रलाप कर रहा और हम बातों का गुलदस्ते बना रहे हैं। सच तो यह है कि भारत आज एक संक्रमण काल कि स्थिति से गुजर रहा है। कुल मिलाकर अगर देखें तो हर प्रकार से 2022 भारत के लिए भारत के लोगों के लिए एक दुखद साल रहा। हमारी कामना है कि 2023 में भारत की जनता के ये दुबारा नहीं देखना पड़े।