Punjab Haryana High Court: सेवानिवृत्त IPS प्रभोध कुमार जारी रखेंगे SIT की कमान, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, प्रबोध कुमार को इस जिम्मेदारी के लिए हर महीने 1.5 लाख रुपये का मानदेय दिया जाएगा।

Punjab Haryana High Court News In Hindi

Punjab Haryana High Court News In Hindi: पंजाब पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रबोध कुमार, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं, अपनी सेवा जारी रखेंगे। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के  रविवार को  जारी आदेश के अनुसार  कि वे लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू प्रकरण की जांच कर रही विशेष जांच टीम  का नेतृत्व करते रहेंगे। यह आदेश अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए जारी किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रबोध कुमार इस मामले की जांच की शुरुआत से जुड़े रहे हैं, इसलिए उनके अनुभव को देखते हुए न्यायहित में उन्हें एसआईटी प्रमुख बनाए रखना आवश्यक है।

हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, प्रबोध कुमार को इस जिम्मेदारी के लिए हर महीने 1.5 लाख रुपये का मानदेय दिया जाएगा। साथ ही, उन्हें आवश्यक सचिवालयीय सहायता, सुरक्षा कवर और आधिकारिक वाहन की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। पंजाब पुलिस के डीजीपी को निर्देश दिया गया है कि वे प्रबोध कुमार को जांच में किसी भी प्रकार की अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराएं, ताकि यह प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे बढ़ सके।

यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब हाई कोर्ट की एकल पीठ ने जेल में बंद कैदी द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी। जांच में यह सामने आया कि कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने पुलिस हिरासत में रहते हुए एक इंटरव्यू दिया था, जिसके बाद इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया। इस जांच दल को यह पता लगाना है कि जेल में बंद अपराधी को इंटरव्यू देने की सुविधा किसने और कैसे उपलब्ध कराई, क्या इसमें पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत थी, और क्या यह पूरी प्रक्रिया किसी बड़े आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा थी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में न केवल आपराधिक साजिश बल्कि भ्रष्टाचार, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और अन्य कानूनी पहलुओं की गहन जांच की जाएगी।

एसआईटी को 28 अक्टूबर 2024 को जारी आदेश के तहत इस मामले की हर एंगल से जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी। अदालत चाहती है कि यह पता लगाया जाए कि किन पुलिस अधिकारियों ने बिश्नोई को जेल के भीतर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक पहुंचने दिया और क्या इस इंटरव्यू के जरिए अपराध को महिमामंडित करने का प्रयास किया गया। यह भी जांच का हिस्सा है कि इस इंटरव्यू के माध्यम से गैंगस्टर ने अपने आपराधिक नेटवर्क को संचालित करने या किसी प्रकार की उगाही जैसी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश तो नहीं की।

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने विशेषाधिकारों के तहत किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को जांच जारी रखने का आदेश देने का अधिकार रखता है। इस मामले में पंजाब सरकार की सहमति भी दर्ज की गई है, क्योंकि पंजाब के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) ने अदालत को सूचित किया कि राज्य सरकार प्रबोध कुमार को मानदेय देने और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए तैयार है। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि प्रबोध कुमार को पूरी सुरक्षा दी जाए ताकि वह बिना किसी दबाव के इस मामले की निष्पक्ष जांच कर सकें।

इस मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी 2025 को होगी, जिसमें एसआईटी को अपनी अब तक की जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करनी होगी।

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