Chandigarh News: किसान नेता चलने नहीं दे रहे पराली आधारित बायोगैस प्लांट, मामला पहुंचा हाईकोर्ट
उद्यमियों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए हाईकोर्ट ने गठित की कमेटी
Chandigarh News In Hindi: पराली आधारित बायोगैस प्लांट किसान नेताओं के विरोध के चलते ठप होने का मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने उद्यमियों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए जस्टिस राजीव शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है।
रिटायर जस्टिस राजीव शर्मा की अध्यक्षता में काम करेगी कमेटी
सेवानिवृत्त एयर कमोडोर परमिंदर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उन्होंने लुधियाना के समराला में अपने पैतृक गांव मुस्कान में एक कंप्रेस बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित करने के लिए ऋण लिया था। एक्वाग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नामक इस संयंत्र की लागत लगभग 17 करोड़ रुपये है, जिसमें सिंह ने अब तक लगभग 10 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह 2.6 टन बायो-सीएनजी का उत्पादन करने के लिए प्रतिदिन 20 टन धान की पराली और 60 टन नेपियर घास का उपयोग करने के लिए तैयार है। इस संयंत्र का उद्देश्य 3,650 एकड़ से अधिक धान की पराली का प्रबंधन करना भी है, ताकि किसानों द्वारा इसे जलाने से रोका जा सके।
याची ने बताया कि संयंत्र को स्थानीय किसान संघों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने दावा किया है कि बायोगैस उत्पादन से निकलने वाले रसायन कैंसरकारी हो सकते हैं और मिट्टी को दूषित कर सकते हैं। याची ने बताया कि किसानों के संयंत्र के बाहर बैठे हुए छह महीने हो गए हैं। यह एक हरित उद्योग है, लेकिन दुर्भाग्य से पंजाब सरकार किसानों को मना नहीं पाई है। याची के साथ ही अन्य कई उद्यमियों ने राहत के लिए अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि इससे उन्हें काफी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट ने अब विरोध प्रदर्शनों के कारण हुई देरी से प्रभावित कंपनियों द्वारा दावा किए गए नुकसान का आकलन करने के लिए एक समिति का आदेश दिया है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश राजीव शर्मा के नेतृत्व वाली इस समिति में पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश इंद्रजीत मेहता, अधिवक्ता सुखदीप सिंह सिद्धू और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट शामिल होंगे। समिति के सदस्यों को उनकी भूमिकाओं के लिए शुल्क मिलेगा, जिसमें अध्यक्ष के लिए 5 लाख और प्रत्येक सदस्य के लिए 2.5 लाख रुपये, साथ ही यात्रा और प्रशासनिक खर्च शामिल हैं। न्यायालय ने पंजाब सरकार को शुल्क तय समय सीमा के भीतर मुहैया करवाने का आदेश दिया है।
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