तीन वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा ए मौत को हाई कोर्ट ने की पुष्टि
हाई कोर्ट ने अपने 41 पेज के आदेश में कहा कि स्पष्ट रूप से यह मामला एक बच्ची की जघन्य हत्या से संबंधित है.
Punjab and Haryana HC: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट गुरुग्राम में ने 2018 में तीन वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के लिए दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की मौत की सजा की पुष्टि की और कहा कि दुष्कर्म करने के बाद बच्ची की जघन्य हत्या दोषी के राक्षसी आचरण का एक उदाहरण है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में जिला मजिस्ट्रेट को प्रासंगिक परविधानों के अनुसार तत्काल एक जल्लाद नियुक्त करने का निर्देश दिया साथ ही दोषी-अपीलकर्ता पर मृत्युदंड की सजा को क्रियान्वित करने के लिए अनुसूची तैयार करने का भी निर्देश दिया।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने फरवरी में ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए तर्क से सहमति जताई, जिसमें उसने कहा था कि यह मामला दुर्लभतम मामलों में आता है। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के तर्कों पर गौर किया और कहा कि ट्रायल जज द्वारा दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाये जाने के अवलोकन सही तरीके से किए गए थे। साथ ही कहा कि यह हाई कोर्ट की न्यायिक अंतरात्मा के लिए अपील है।
हाई कोर्ट ने अपने 41 पेज के आदेश में कहा कि स्पष्ट रूप से यह मामला एक बच्ची की जघन्य हत्या से संबंधित है, लेकिन उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद, यह दोषी-अपीलकर्ता के अमानवीय और राक्षसी आचरण का उदाहरण है। इस प्रकार, उपयुक्त कारणों से ट्रायल जज द्वारा दोषी-अपीलकर्ता को मृत्युदंड की सजा सुनाने के लिए दिए गए उचित कारणों से, इस न्यायालय को हत्या के संदर्भ को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
ट्रायल जज द्वारा दोषी-अपीलकर्ता पर लगाई गई मृत्युदंड की सजा की पुष्टि की जाती है। 12 नवंबर 2018 को सेक्टर 65 के अधीन एक क्षेत्र में तीन वर्षीय बच्ची का शव नग्न अवस्था में सड़क पर खून से लथपथ पाया गया। दोषी पीड़िता का पड़ोसी था, जिसने उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या की थी।पोक्सो अधिनियम के तहत एक गुरुग्राम की विशेष अदालत ने उसे तीन फरवरी 2024 को गंभीर यौन उत्पीड़न के तहत मौत की सजा सुनाई थी।हाई कोर्ट मौत की सजा की पुष्टि के लिए राज्य की अपील और सजा के आदेश के खिलाफ दोषी सुनील की अपील पर सुनवाई कर रहा था। डिवीजन बेंच ने नोट किया कि दोषी ने अपने बयान में मृतक के साथ दुष्कर्म करने का अपना अपराध कबूल किया है और अपराध करने के तरीके और पीड़िता को लगी चोटों का वर्णन किया है।
कोर्ट ने कहा कि केवल आरोपी को ही पता था कि अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार कहां छुपाए गए थे, जिन्हें बाद में बरामद किया गया था। डिवीजन बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि डीएनए रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि पीड़िता के शरीर पर खून के धब्बे और अन्य स्वाब दोषी के थे साथ ही जिस स्थान पर शव मिला था, वह अपराध स्थल और दोषी के करीब था।पीठ ने कहा जैसा भी हो उक्त सर्वोत्तम वैज्ञानिक साक्ष्य अभियुक्त और मृतक के अंतिम बार एक साथ देखे जाने के सिद्धांत की पुष्टि भी करते हैं। सभी तथ्यों को देखने के बाद हाई कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को मृत्युदंड के निष्पादन के लिए अनुसूची तैयार करने का निर्देश दिया और अपील की समय अवधि समाप्त होने के बाद इसे निष्पादित करने का आदेश दिया।
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