Punjab and Haryana High Court: बच्चे बड़े हैं और खुश हैं, उनका पिता के साथ रहना अवैध कस्टडी नहींः हाईकोर्ट

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि मौजूदा मामले में बच्चे 5 वर्ष की आयु से कम नहीं है जिन्हें मां की जरूरत हो।

Punjab and Haryana High Court

Punjab and Haryana High Court News:  मां की तरफ से 10 व 8 साल के बेटों की कस्टडी दिए जाने की मांग संबंधी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। जस्टिस मनीषा बतरा ने फैसले में कहा कि दोनों बच्चे अपने पिता के साथ रह रहे हैं। ऐसे में पिता के साथ बच्चों का रहना अवैध कस्टडी का मामला नहीं है। दूसरी तरफ याचिकाकर्ता (बच्चों की मां) लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है। ऐसे  में बच्चों की कस्टडी के लिए मां की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण आधारहीन है।

बच्चों की कस्टडी हासिल करने के लिए गार्जियन शिप एंड वार्ड्स एक्ट है जिसकी अनदेखी कर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि मौजूदा मामले में बच्चे 5 वर्ष की आयु से कम नहीं है जिन्हें मां की जरूरत हो। बच्चे बड़े हैं और पिता के साथ खुश हैं। बच्चों पर पिता के अधिकार को अनदेखा नहीं किया.

यह है मामला

नारनौल निवासी मां की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि उसकी शादी 8 फरवरी 2012 को हुई थी। शादी से दो बेटे पैदा हुए। शादी के 7 साल बाद दोनों के बीच मतभेद हुए और अगस्त 2019 में दोनों ने अलग रहने का फैसला लिया। वह दोनों बेटों को लेकर माता-पिता के घर रहने लगी। 25 सितंबर, 2020 को बच्चों के पिता उनके घर आए और जबरन बच्चों को साथ ले गए। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर मांग की गई कि बच्चों को पिता की कस्टडी से रिहा कराया जाए।

हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका अवैध हिरासत से रिहाई के लिए दायर की जाती है लेकिन मौजूदा मामले में ऐसा कुछ नहीं है।

(For more news apart from Punjab and Haryana High Court: Children are grown up and happy, their living with father is not illegal custody , stay tuned to Rozana Spokesman Hindi)