Punjab Haryana High Court का महत्वपूर्ण फैसला: 27 वर्षों तक कार्यरत होमगार्ड को मिलेगा 10,000 प्रतिमाह भत्ता
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि उसे 1992 में पंजाब होम गार्ड में नामांकित किया गया था ...
Punjab Haryana High Court Home Guard working for 27 years will get Rs 10,000 per month allowance: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 27 वर्षों तक लगातार सेवा देने वाले होमगार्ड को 10,000 प्रति माह का भत्ता देने का आदेश दिया है। अदालत ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन बताते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को यह भत्ता केवल इसलिए नकारा नहीं जा सकता क्योंकि वह स्थायी या नियमित कर्मचारी नहीं है।
जस्टिस जगमोहन बंसल ने अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को 27 वर्षों तक लगातार सेवा देने के बावजूद भत्ता न देना अन्यायपूर्ण और अनुचित होगा। यह उनके और उनके परिवार के सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत जीवन का अधिकार केवल भौतिक अस्तित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार भी है।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि उसे 1992 में पंजाब होम गार्ड में नामांकित किया गया था और वह 2019 तक लगातार सेवा करता रहा।राज्य सरकार ने तर्क दिया कि होमगार्ड केवल एक स्वयंसेवक हैं, न कि सरकारी कर्मचारी। वे दैनिक वेतनभोगी हैं और आवश्यकता अनुसार बुलाए जाते हैं। लेकिन अदालत ने यह तर्क खारिज कर दिया और कहा कि होमगार्ड का चयन उचित प्रक्रिया के माध्यम से होता है, और 10 वर्षों से अधिक की निरंतर सेवा उन्हें एक विशिष्ट दर्जा प्रदान करती है।याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को 2019 में निलंबित किया गया था, लेकिन उसके खिलाफ कोई ठोस जांच नहीं की गई।
हालांकि, अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता 1992 से 2019 तक लगातार काम करता रहा और उसे नियमित रूप से मासिक वेतन मिलता रहा।जस्टिस बंसल ने यह भी माना कि होम गार्ड, पंजाब पुलिस का हिस्सा है, और उसे पुलिस अधिकारी के समान अधिकार और संरक्षण प्राप्त हैं। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को निलंबन के कारण अन्य नौकरी मिलने की संभावना नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि होमगार्ड का चयन उचित प्रक्रिया के माध्यम से होता है, और 10 वर्षों से अधिक की निरंतर सेवा उन्हें एक विशिष्ट दर्जा प्रदान करती है।याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को 2019 में निलंबित किया गया था, लेकिन उसके खिलाफ कोई ठोस जांच नहीं की गई।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को निलंबन की तिथि से लेकर सेवा समाप्ति की तिथि तक 10,000 रुपये प्रति माह निर्वाह भत्ता प्रदान करें। हाई कोर्ट ने यह आदेश जागीर सिंह व अन्य द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिया।
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