Chandigarh News: फोरेंसिक जांच की कमियों पर हाई कोर्ट की सरकार को फटकार

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

तरनतारन में एनडीपीएस मामले में दर्ज एक मामले में आरोपित विनय कुमार की जमानत की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिया।

High Court reprimands the government on the shortcomings of forensic investigation news in hindi

Chandigarh News News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब में  फोरेंसिक जांच की सुविधाओं की कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।जस्टिस संदीप मोदगिल ने सरकार की ओर से बजट की कमी का हवाला देने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि डिजिटल युग में अपराधों की जांच के लिए उन्नत तकनीकों का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य है कि सरकार इस मामले में वित्तीय बाधाओं का बहाना बना रही है।

अदालत ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वह एफएसएल और क्षेत्रीय फोरेंसिक साइंस लैब्स के लिए बजट आवंटन और उपकरण खरीदने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दे। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया गया कि वह 1 अप्रैल 2024 से 20 जनवरी 2025 तक सरकार द्वारा खर्च की गई राशि, विशेष रूप से विज्ञापन और पुलिस वाहनों की खरीद पर, की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करें।

तरनतारन में एनडीपीएस मामले में दर्ज एक मामले में आरोपित विनय कुमार की जमानत की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिया।

मामले में  सीसीटीवी फुटेज की सत्यता की जांच एक महत्वपूर्ण मुद्दा था। अदालत ने राज्य सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की अपर्याप्त क्षमताओं और उपकरणों की कमी पर कड़ा रुख अपनाया।आरोपित  को 14 सितंबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, पुलिस रिकार्ड में गिरफ्तारी की तारीख 16 सितंबर 2023 दर्ज की गई। आरोपित  के वकील ने यह दावा किया कि यह गड़बड़ी पुलिस की ओर से की गई है और इसके समर्थन में सीसीटीवी फुटेज और एक पेन ड्राइव साक्ष्य के रूप में पेश किए।

हाई कोर्ट को यह जानकर गहरा झटका लगा कि पंजाब के किसी भी फोरेंसिक लैब में सीसीटीवी फुटेज की सत्यता की जांच करने के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध नहीं हैं। अदालत ने पाया कि चार प्रमुख फोरेंसिक लैब्स  मोहाली, बठिंडा, अमृतसर और लुधियाना में यह सुविधा नहीं है। यह भी स्पष्ट हुआ कि इस दिशा में सुधार के लिए सरकार ने पर्याप्त प्रयास नहीं किए।

राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि उन्नत उपकरणों की खरीद और इंस्टॉलेशन के लिए एक प्रक्रिया शुरू की गई है। हालांकि, अदालत ने इस प्रक्रिया में देरी पर असंतोष व्यक्त किया और निर्देश दिया कि यह कार्य चार सप्ताह के भीतर पूरा किया जाए।

इस मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि वह अगली सुनवाई तक फॉरेंसिक लैब की उन्नति के लिए किए गए प्रयासों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

 

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