Punjab and Haryana HC: साध्वियों के यौन शोषण मामले में सजा काट रहे राम रहीम की अपील पर सुनवाई 10 दिसंबर तक स्थगित
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआइ द्वारा समय मांगने पर फटकार भी लगाई।
Punjab Haryana HC Hearing on Ram Rahim appeal adjourned News In Hindi: साध्वियों के यौन शोषण मामले में सजा काट रहे डेरा मुखी गुरमीत सिंह की सजा के खिलाफ अपील पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनवाई 10 दिसंबर तक स्थगित कर दी है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआइ द्वारा समय मांगने पर फटकार भी लगाई।
डेरे की दो साध्वियों के यौन शोषण मामले में पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने अगस्त 2017 में डेरा मुखी को दोषी करार देते हुए उसे 10-10 साल की सजा सुनाई थी और साथ ही डेरा मुखी पर 30 लाख 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था।पहले मामले में दस वर्ष की सजा पूरी होने के बाद दूसरे मामले में दस वर्ष की सजा शुरू होनी है।
सजा को डेरा मुखी ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की थी। वहीं दोनो पीड़ित साध्वियों ने भी तब हाई कोर्ट में अपील दाखिल कर डेरा मुखी को उम्रकैद की सजा सुनाई जाने की मांग की थी। तब हाईकोर्ट ने इन अपील को एडमिट कर लिया था
अक्टूबर 2017 में हाई कोर्ट ने डेरा मुखी पर लगाए गए 30 लाख 20 हजार रुपए के जुर्माने पर रोक लगाते हुए डेरा मुखी को दो महीनों के भीतर जुर्माने की यह राशि सीबीआई कोर्ट में जमा करवाए जाने के आदेश दिए थे और साथ ही जमा करवाई जाने वाली जुर्माने की इस राशि को किसी नेशनलाइज बैंक में इसकी एफडी करवाए जाने के भी आदेश दिए गए थे। तब हाई कोर्ट ने इन अपील को एडमिट कर लिया था।
डेरा मुखी गुरमीत सिंह हाई कोर्ट में अपील दायर कर कहा, है कि, इस मामले में सीबीआई अदालत ने उसे बिना उचित साक्ष्यों और गवाहों के उसे दोषी ठहरा सजा सुना दी है । जोकि तय प्रक्रिया के अनुसार गलत है। डेरा मुखी ने कहा कि, पहले इस मामले में एफआईआर ही दो तीन वर्षों की देरी से दायर हुई ।यह एक गुमनाम शिकायत पर दर्ज की गई जिसमे शिकायतकर्ता का नाम तक नहीं था । पीड़िता के बयान ही इस केस में सीबीआई ने छह वर्षों के बाद रिकॉर्ड किये थे। सीबीआई का कहना था कि, वर्ष 1999 में यौन शोषण हुआ था लेकिन बयान वर्ष 2005 में दर्ज किये गए ।जब सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की तब कोई शिकायतकर्ता ही नहीं था।
अपनी अपील में डेरा मुखी ने सवाल उठाया है कि, यह कहना की पीड़िताओं पर कोई दबाव नहीं था गलत है। क्योंकि दोनों पीड़िता सीबीआई के संरक्षण में थी। ऐसे में प्रॉसिक्यूशन का उन पर दबाव था 30 जुलाई 2007 तक बिना किसी शिकायत के जांच की जाती रही और पूरी की गई । उसके पक्ष के साक्ष्य और गवाहों पर सीबीआई अदालत ने गौर ही नहीं किया । यहां तक कि, सीबीआई ने डेरा मुखी के मेडिकल एग्जामिनेशन तक की जरुरत नहीं समझी कि, डेरा मुखी के खिलाफ जो आरोप लगाए गए है वह सही भी हो सकते है या नहीं। लिहाजा इन सभी आधारों को लेकर डेरा मुखी ने अपने खिलाफ सुनाई गई सजा को रद्द कर उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को ख़ारिज किये जाने की हाई कोर्ट से मांग की है ।इस केस का पूरा रिकार्ड ट्रायल कोर्ट से हाई कोर्ट पहुंच चुका है।
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