Punjab and Haryana HC: 'कन्या भ्रूण हत्या एक गंभीर समस्या है खासकर हरियाणा व पंजाब में', हाई कोर्ट की टिप्पणी

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, चंडीगढ़

कुछ चिकित्सक लालच से प्रेरित होकर, कन्या भ्रूण के विनाश में भागीदार बन जाते हैं।

'Female feticide is a serious problem, especially in Haryana and Punjab', Punjab and Haryana High Court comments

अवैध लिंग निर्धारण रैकेट चलाने के आरोपित डॉक्टर की अग्रिम जमानत खारिज करते हुए हाई कोर्ट की टिप्पणी

Punjab and Haryana High Court: पंजाब व हरियाणा में बड़े पैमाने पर अवैध लिंग निर्धारण रैकेट चलाने के आरोपित हिसार जिले एक डाक्टर की अग्रिम जमानत को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या एक गंभीर समस्या है खासकर हरियाणा व पंजाब में। जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने  डा अनंत राम की अग्रिम जमानत पर  खारिज करते हुए कहा कि यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या  चिंताजनक  मुद्दा है, खासकर देश के इस हिस्से में, विशेष रूप से, चिंताजनक पहलू अनैतिक  चिकित्सकों की संलिप्तता है, जो हिप्पोक्रेटिक शपथ का उल्लंघन करते हुए, गुप्त रूप से, लिंग निर्धारण परीक्षण करते हैं, जिससे यह गंभीर अपराध संभव हो पाता है।

कोर्ट ने कहा कि पीएनडीटी अधिनियम में निषेध के बावजूद, कुछ डाक्टर अपनी नैतिक प्रतिबद्धताओं और चिकित्सा पद्धति के सिद्धांतों के साथ विश्वासघात करते हुए, गुप्त रूप से ये परीक्षण करते हैं। इनमें से कुछ चिकित्सक लालच से प्रेरित होकर, कन्या भ्रूण के विनाश में भागीदार बन जाते हैं।

डा अनंत राम  पर हरियाणा के हिसार जिले में पूर्व-गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 (पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम)  के तहत एफआइआर दर्ज है। अनंत राम  पर पंजाब और हरियाणा राज्यों में बड़े पैमाने पर अवैध लिंग निर्धारण रैकेट चलाने का आरोप है, जिसमें अज्ञात स्थानों पर पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन का उपयोग किया जाता था। ग्राहकों को इन स्थानों पर ले जाने से पहले कथित तौर पर आंखों पर पट्टी बांध दी जाती थी, ताकि पता न चले। याचिकाकर्ता सात अन्य आपराधिक मामलों में भी शामिल था, जिनमें से पांच पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के तहत समान अपराधों से संबंधित थे। राज्य के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के दिसंबर 2023 में जांच में शामिल होने के बावजूद, वह पूरी तरह से असहयोगी रहा है और लिंग निर्धारण परीक्षण करने में उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए लैपटाप और पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन को सौंपने में विफल रहा है।

सरकारी वकील ने यह भी दावा किया कि भले ही याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने के लिए कई अवसर दिए गए थे, लेकिन चूंकि वह ऐसा करने में विफल रहा है, इसलिए वर्तमान मामले में उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता है। सरकार की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने  याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती थी।

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