24 वर्ष पुराने हत्या मामले में सात अभियुक्तों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को HC ने रखा बरकरार
खंडपीठ ने इसे दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामला मानते हुए मृत्युदंड देने से इनकार कर दिया।
-निचली अदालत द्वारा लगाया गया 1000 रुपये का जुर्माना बेहद मामूली बताते हाई कोर्ट ने प्रत्येक पर लगाया 50,000 रुपये का जुर्माना
Punjab and Haryana High Court News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 24 वर्ष पुराने हत्या के मामले में सात अभियुक्तों की दोषजनक को बरकरार रखा है तथा प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत द्वारा लगाया गया 1000 रुपये का जुर्माना बेहद मामूली है। मृतक की हत्या भूमि विवाद से संबंधित पुरानी रंजिश के कारण की गई थी। मृतक का शव खून से लथपथ घायल अवस्था में पड़ा मिला। खंडपीठ ने इसे दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामला मानते हुए मृत्युदंड देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा न्यायालय दोषियों को मृत्युदंड न देने के लिए बाध्य है। हालांकि, प्रत्येक अभियुक्त पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाना बेहद मामूली है, तथा इसे बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि जुर्माना राशि मृतक के परिजनों को वितरित की जानी चाहिए। खंडपीठ ने यह टिप्पणियां पटियाला ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले दलजींद्र व अन्य तथा सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए की। जिसके तहत सभी आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और प्रत्येक पर 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।सरकार ने मृत्युदंड मांग व आरोपितों ने सजा को रद करने की मांग की थी। यह मामला 2000 का है, जिसमें आरोपियों पर धारा 302 आईपीसी और धारा 120-बी आईपीसी के तहत आरोप लगाए गए थे।
बयानों को सुनने के बाद, कोर्ट ने पाया कि आरोपियों द्वारा दिए गए बयान में कहा गया था दोषियों-अपीलकर्ताओं ने मृतक को चोट पहुंचाकर अपराध करने में अपना अपराध कबूल किया है, इसलिए अपराध के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार का इस्तेमाल किया गया था।
अदालत ने आरोपियों द्वारा दिए गए बयान पर ध्यान दिया, जिसमें उन्होंने मृतक को चोट पहुंचाकर अपराध करने में अपना अपराध कबूल किया था। पीठ ने आगे कहा कि अपराधी द्वारा बताए गए स्थान से ही अपराधी हथियार बरामद किया गया था और वह साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत नहीं आता है।जस्टिस ठाकुर ने कहा कि, बचाव पक्ष के वकीलों द्वारा किसी भी प्रभावी जिरह के माध्यम से कभी भी जांच को चुनौती नहीं दी गई थी।
कोर्ट ने कहा कि संबंधित एफएसएल की रिपोर्ट व अन्य से वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अभियोजन पक्ष ने अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप को पुष्ट रूप से साबित कर दिया है।उपर्युक्त के प्रकाश में, कोर्ट ने दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। जुर्माने की राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है, जिसे प्रत्येक आरोपी को प्रभावित परिवार को देना होगा।
(For more news apart from Punjab and Haryana High Court upheld the conviction and life imprisonment of seven accused in a 24-year-old murder case, stay tuned to Rozana Spokesman hindi)