आजम खां ने हमेशा मुसलमानों के प्यार को गुलामी समझा है : सक्सेना
सक्सेना ने कहा कि रामपुर से 10 बार विधायक रह चुके आजम खां ने यहां के मुसलमानों के प्यार को ‘‘गुलामी’’ समझा और यह उपचुनाव मुस्लिमों के लिए उस....
रामपुर (उप्र) : रामपुर सदर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार आकाश सक्सेना का कहना है समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खां ने मुसलमानों को ‘‘भाजपा का डर दिखाकर’’ उनसे उनका सबकुछ छीनने की कोशिश की और उनके प्यार को ‘‘गुलामी’’ समझा। उन्होंने कहा कि रामपुर के मुसलमान अब हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा छोड़कर उज्ज्वल भविष्य की तरफ देख रहे हैं और इस बार वे नया इतिहास रचने का मन बना चुके हैं।
सक्सेना ने कहा कि रामपुर से 10 बार विधायक रह चुके आजम खां ने यहां के मुसलमानों के प्यार को ‘‘गुलामी’’ समझा और यह उपचुनाव मुस्लिमों के लिए उस दासता को उतार फेंकने का सुनहरा मौका है।
उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, "रामपुर के मुसलमानों के प्यार को आजम खां ने गुलामी समझा और उसे इस कदर आगे ले गए कि उन्होंने खुद दूसरा नवाब बनने की कोशिश की। खां ने मुसलमानों को भाजपा का डर दिखाकर उनसे उनका सबकुछ छीनने की कोशिश की और उन्हें राजनीतिक रूप से अपना गुलाम बनाने पर ही पूरा ध्यान लगाया। नतीजा यह हुआ कि रामपुर का कारोबार चौपट हो गया और मुस्लिम नौजवानों का भविष्य अधर में लटका रहा।"
सक्सेना ने कहा, "जहां तक रामपुर के मुसलमानों की बात है तो अब वे आजम खां के हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे को छोड़कर उद्योग और रोजगार की बात कर रहे हैं। जिस तरह से युवा साथियों का समर्थन मिल रहा है उससे यह साबित होता है कि यहां का मुसलमान इतिहास रचने का मन बना चुका है। रामपुर का परिणाम ऐतिहासिक होगा और यह देश की दिशा और दशा तय करेगा।"
सक्सेना ने कहा, "रामपुर एक जमाने में उद्योगों के मामले में प्रदेश में दूसरे स्थान पर आता था। हम रामपुर को वही दर्जा वापस दिलाएंगे। रामपुर को एक उद्योग नगरी के तौर पर विकसित किया जाएगा। मुसलमानों को भी रोजगार चाहिए, भविष्य की उम्मीदें चाहिए। रामपुर का यह उपचुनाव मुसलमानों के पास एक सुनहरा मौका है कि वे दासता के चोले को उतार फेंकें और भाजपा की अगुवाई में एक नए भविष्य की तरफ आगे बढ़ें।"
गौरतलब है कि रामपुर सदर विधानसभा सीट नफरत भरा भाषण देने के मामले में आजम खां को तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म किए जाने के चलते खाली हुई है। इस सीट पर उपचुनाव के तहत आगामी पांच दिसंबर को मतदान होगा और परिणाम की घोषणा आठ दिसंबर को होगी। सपा ने इस सीट पर आजम खां के करीबी आसिम राजा को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने आकाश सक्सेना को उम्मीदवार बनाया है। रामपुर विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल इलाका है जहां मुसलमान मतदाता लगभग 60 प्रतिशत हैं।
साथ छोड़कर गए मुस्लिम साथियों के भाजपा के यहां पोछा लगाने संबंधी आजम खां के बयान पर तल्ख टिप्पणी करते हुए भाजपा प्रत्याशी ने कहा, "आजम खां सिर्फ अपने अब्दुल की फिक्र करें। पोछा लगाने की बात कहकर उन्होंने अपनी मंशा बता दी कि उनकी नजर में अब्दुल की क्या हैसियत है। हमारे यहां अब्दुल की क्या इज्जत है उसका जवाब हम आने वाले वक्त में दे देंगे। वह हमारे अब्दुल की फिक्र न करें।"
आजम खां ने गत 28 नवंबर को रामपुर के नालापार क्षेत्र में एक चुनावी रैली में कहा था कि कुछ लोग अब्दुल (मुस्लिम समाज) अब चुनावी सभाओं में दरी नहीं बिछाएगा की बात कहकर भाजपा में शामिल हो गए हैं लेकिन आठ दिसंबर को उपचुनाव का नतीजा घोषित होने के बाद यह अब्दुल भाजपा के यहां पोछा लगाएगा।
आजम खां पर तंज करते हुए सक्सेना ने कहा, "वह जो कर रहे हैं सब उनका ‘रिकॉर्डेड स्टेटमेंट’ है। सबकुछ ‘स्क्रिप्टेड’ है। हर चुनाव में उनका यही रिकॉर्ड बजने लगता है। रामपुर में पिछले पांच साल में लगभग पांच चुनाव हुए हैं और हर चुनाव में आजम खां का यही काम रहा है लेकिन अब लोग उनकी बातों में नहीं आने वाले।"
सक्सेना ने कहा, "रामपुर की जनता ने आजम खां को 50 साल दिए हैं, मुझे सिर्फ 50 महीने देकर देखे। अगर वह मेरे काम से संतुष्ट नहीं होगी तो अगले विधानसभा चुनाव में मुझे हरा दे। मुझे कोई शिकायत नहीं होगी।"
आकाश सक्सेना के पिता शिव बहादुर सक्सेना रामपुर की स्वार सीट से चार बार भाजपा के विधायक रह चुके हैं। वह प्रदेश के गन्ना मंत्री भी रहे थे। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का करीबी माना जाता था।
पसमांदा मुसलमानों पर भाजपा की निगाह से जुड़े एक सवाल पर सक्सेना ने कहा कि रामपुर में बहुत बड़ी आबादी पठान मतदाताओं की है और पसमांदा वह वर्ग है जिसे कोई महत्व नहीं देता था।
सक्सेना ने कहा कि रामपुर की बदकिस्मती देखिए कि ढाई लाख पठान होने के बाद भी आज उनकी बहुत बड़ी आबादी आर्थिक रूप से पिछड़े की श्रेणी में आती है। उन्होंने कहा कि रामपुर के ज्यादातर पिछड़े मुसलमान पिछले लगभग चार दशक तक आजम खां के साथ रहे लेकिन बदले में उन्हें सम्मान तक नहीं मिला।
उन्होंने भाजपा के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को दोहराते हुए कहा, ‘‘मुसलमानों का सम्मान भाजपा के शासन में ही महफूज है।’’